Monday, October 05, 2009

गोनू झाक बंगौर


एक बेर गोनू झा बांगक खेती नीक जकाँ कयने रहथि | उपजा सेहो नीक भेलनि | ओकरा बेचि नीक पाइ सेहो अर्जित कयलनि | मुदा हुनका चिन्ता छलनि जे बांग तं बिका गेल मुदा बंगौरकें क्यो पुछनिहार नहि | ओ एही व्यथें मुइल जाइत छलाह जे हाटमे एकरा पुछनिहार नहि | ओ एही व्यथें मुइल जाइत छलाह जे हाटमे एकरा पुछनिहार केओ कियक नहि अछि |

एही क्रममे एक दिन रातिकs बहुत बिलम्ब सं ओ घर घुरलाह तs आभास भेलनि जे चोर आँगनक कोंटा सभ पकड़ने अछि | पहिने गोनुके अपन घरमे राखल बांगक रुपैयाक चिन्ता भेलनि - भs सकैछ, होने हो चोरबा सभ एही रुपैयाक गंध पाबि एम्हर टघरल अछि | मुदा तुरत हुनका दिमाग मे किछु कंपन भेलनि | आ निसभेर सुतलि अपन पत्निकें जगबगैत डाँटब आरम्भ कs देलनि जे अहाँ सभ दिन एके रंगक रहि गेलहूँ | देखू तs एतेक दामी बंगैरकें अहाँ आंगनमे छोड़ने छी -

' ओकरो कोनो मोल छै? हम तs ओकरा गिद्दरकें खयबाक लेल छोड़ने छी | "

" राम - राम ई की कहैत छी! अहाँकें बुझल अछि जे हम एकटा वैध-सम्मलेनसं आबि रहल छी! ओतुक्का वैध लोकनि कहलथिन अछि जे बंगैरसं कुष्ट रोग छुटैत छैक | तुरत एकर भाव सय टके सेर भs रहल अछि |

एहिना बड़ीकाल धरि दुनु गोटमे वाकयुद्ध चलैत रहलनि | गोनू झा एहि युद्घ द्वारा बातकें नीक जकाँ फड़ीच्छ कs देलनि जे बंगौर सन दामी बस्तुकें आँगनमे छोड़ीकs हुनक पत्नी बड़ पैघ गलती कयलनि अछि आ तकर निदान तखनहि संभव जे शुभकs ई राति कहुना बीति जाय |

थोड़क कालक बाद गोनू झाकें निन्न आबि गेलनि | ओ फोंप काटs लगलाह | पत्नियों सुति रहलथिन | आ तखने नुकायल चोर सभ बंगौर लs कs पार भs जाइत गेल |

भिनसरे गोनू झाकें उक्त् चोरीक पता चललनि तं बजलाह - कोनो बात नहि | लs जाय दिऔक | बंगौर ने लs गेल हमर भाग्य थोड़े लs गेल अछि |

सत्तक होयत तं बंगौर सुदि समेत घुरि आओत |

हुनक पत्नी अपराध - बोधसं लदल अपन काजमे लागि गेलीह | हुनका एहि चोरिक बड़ दुःख रहिन, मुदा आब तs तकर कोनहु उपाय नहि रहिन |

गोनू झा बेरुपहर जखन हाट पहुँचलाह तs देखैत छथि जे चोरबा सभ बंगौरक बोरा सभ गेटने ओतs उपस्थित अछि | संगमे चाउरक बोरा सभ सेहो राखल छैक | ओ ओहि दोकान लग अयलाह | चाउर दनादन बिकयाल जा रहल छल मुदा बंगौरक केओ पुछनिहार नहि | गोनू झा गन्हिकि नजरिसं बंगौराकें देखलथिन आ ओकर दाम पुछलथिन |

चोरबामेसं एक गोटे बाजल - सय टके सेर छै वैध जी!

- अरे रतुका भाव छोड़ह, दिनुका भाव कहह | गोनू झा अपन कुटिल हंसीकें दबबैत कहलथिन | एतवा कहबाक छलैक की चोरवा सभक माथा ठनकल | अरे, ई तs वैयह छथि जिनका ओतs रातिमे चोरि कयल अछि | ओ सभ, किछुकें छोड़ी-छाडी अपन अपन जान लs कs पड़ायल |

गोनू झा सभसँ पहिने ओकर बगुलिकें अपन अधीन कयलनि आ गाड़ी बरद कसबाय, तोहि पर बंगौरक संग बांचल चाउरक पट्टा सभ लदबाय ओकरा अपन घर दिस विदा कयलनि | बाटमे भेटलनि एकटा मलाह, जे हाट आबैत छल | तुरत ओकर सभ माछ कीनी, पाइ चुकता कs पंडिताइनक स्मरण करैत निछोहे घरमुहाँ भs गेलाह |

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