Tuesday, October 13, 2009

गोनू झाक खाढेया


एक समयक गप अछि | परोपट्टा भरिमे गोनू झांक नाम पसरि गेल रहनि परिवार सेहो शान्तिपूर्ण ढंगे चलि रहल छलनि | कतहुसं दुःख - चिन्ता - फिरिसानीक दरस नहि | एकदमसं बम्म - बम्म करैत छलाह | गामक लोक हिनक ई अगरैनी देखि भीतरे - भीतरे जरैत रहित छलाह | कोनो गsर नहि भेटैत छलनि जे हिनका चारू नाल चित्त करितथि |

बहुत चिंतन आ परिश्रमक बाद किछु गौंआ मिलि एकटा युक्ति बहार कयलनि | ओ सभ सोचलनि जे कियक ने दुनू भैयारिमे झगड़ा लगा देल जाय |

कि तखनहिसं गोनुक भाइ भोनूकेँ उकसयाबाक क्रिया आरम्भ कs देल गेल | गौंआ सभ भोनूकेँ बुझौलथिन जे तों दिन - राति खटैत रहै छह | तोरे बल पर घर - परिवार चलैत छह | मुदा दोसर दिस तोहर गोनू दिन -राति फुटानी करैत रहित छह हमरा तs लगैए जे तोरासं बइमानी सेहो करैत छह | राजाक दरबारसं हुनका एक - सं एक इनाम - बक्सीस भेटैत रहैत छनि मुदा तकर चतुँर्थाशी घर नहि अनैत छथुन | ई बड़का बइमानी भेल कोनो परिवारक प्रति |

भोनू एहि तरहक बात सभसँ धीरे - धीरे सहमत होबs लगलाह | सोचs लगलाह जे ठीके सभ काज तs हमही करै छी | भैया तs खाली गप्प छाटैत रहैत छथि | ओ बेर - बेर सोचलनि आ अन्तमे निर्णय कयलनि जे आइसँ भैया देखथु अपन घरक काज - धाज | आब हमहीं राज दरबारक टहलान देब |

एहि विषयक बार्ता जखन गोनुक दृष्टिमे देल गेलनि जे तs हुनका पर कोनो प्रतिक्रिया नहि भेलनि | ओ सहर्ष तैयार होइत भोनुक आज्ञा शिरोधार्य करैत घर परिवारक काजमे लागि गेलाह |

भोनू प्रात भेने ठानि कs राजाक दरबारमे पहूँचलाह | दरबार लागल रहैक | ओ अपन अग्रजक आसन ग्रहण कयलनि | राजा सोचलनि जे भs सकैछ | गोनू दुखित पड़ी गेल होथि | अथवा आनहि कोनो कारणे दरबार अयबामे असमर्थ भs गेल होथि | ओ भोनूसँ चोट्टे पुछलथिन जे कहू भोनू, आइ एतs अयबा काल कोनो अचरज देखलहूँ की? कारण एतs अयबामे बेस बिलम्ब भेल |

भोनू चोट्टे उत्तर देल - की कहू सरकार, आइ जे एतs अबैत रही तं बाटमे देखलहूँ यों यों टा (छाती लग हाथ लs जा कs ) के दू टा खढेयाकेँ पड़ायल जाइत | तकरे देखैत रहि गेलहूँ | तेँ विलम्ब भs गेल |

राजाकेँ भोनूक बात पर हँसी लगबाक - बदला क्रोध भs अयलनि | ओ बजलाह जे सभसँ बूड़ी तोरा हमहीं बुझलियहूँ | भरि - भरि छातिक कतहु खढेया भेलैए |

राजा तुरत सिपाहीकेँ आदेश देलनि जे एखन एकरा जेलमे बन्न करह | ई झुट्ठा थिक |

आ भोनू प्रथमहि दिन जेलमे बन्न भए गेलाह |

एमहर भोनूकेँ अयबामे बिलम्ब होइत देखि गोनूकेँ चिन्ता होबs लगलनि | जेना - जेना बिलम्ब होइत जाइक, तेना - तेना हुनकर चिन्ता बढ़ल जानि | अंतमे पाग - मिरजई लगा गोनू दरबारक बाट धयलनि | सोझे जा पहूँचलाह राजा लग | राज हुनका रेबारैत सभ वृत्तान्त कहि सुनौलथिन |

गोनू कनेको विचलित नहि भेलाह | ओ अपन अनुज भोनु़क बातक दहीमे सही लबैत कहलनि जे, सरकार, से की कोनो अजगुत विषय कहलनि भोनू | ओ तs ठीके कहने होयत | हमरा लगैए जे अपनेकेँ देखबामे भांगठ भs गेल होयत - से की? राजा ढीटगर गोनूकेँ तकैत पुछलथिन |

- सरकार!! ओ जे कहने होयत खढेया दिया जे यों - यों ( दुनू हाथसँ संकेत करैत ) क दू टा देखल, से सत्ये किने!! अपने त ओकरा संकेत करैत काल उपरके हाथ देखने हेबै ने |

- हँ, से तs सत्ये ने!!

- मुदा सरकार, ओ निश्चित रूपसँ अपना दोसर हाथ पहिला हाथसँ एक डेढ़ ठट्ठी नीचाँ सेहो रखने होयत | ओहीमे ओकर दोख नहि हेतै |

राजाकेँ गोनू तर्कपूर्ण गप्प पर हँसी लागि गेलनि | ओ तुरत भोनूकेँ जेल - मुक्त करबाक आदेश दैत गोनूकेँ एक सहस्त्र स्वर्ण - मुद्रा दान दs विदा कयलनि |

भोनूकेँ ने तs भाइ दिस ताकि होनि आ ने किछु बाजिये होनि | गोनू मुदा हुनका पीठ पर हाथ फेरैत दरबारसँ बहरा गेलाह | गोनुक चेहरा पर संतोषेक भाव रहनि, तs भोनू स्याह भेल जाइत रहथि |

1 comment:

Blog Created By "Maithil" In Search Of Jindgi.