Thursday, October 01, 2009

गोनू झाक भैयारी बंटबारा


गोनू झा पर गामक लोक बड़ कन्हुआयल रहैत छलाह | हुनकर उन्नतिसं लोककेँ ईर्ष्या होइत छलनि | हुनका लोकनिक सम्मिलित प्रयाससं गोनू आ भोनू दुनु भाइमे झगड़ा भs गेल | मुदा एकटा महींस आ कम्मल बचि गेल जे बँटा नहि सकल |

एहि पंचैतीसं गोनू बड़ दुखित रहैत छलाह | महींसकें दिन भर खुअबैत - पोसैत छलाहआ दुध दुहैत छलाह भोनू | जाड़क मास रहबाक कारणे दिन भरि तs कम्मल गोनुकें रहैत छलनि, मुदा राति कs ओ भोनुक भs जाइत छलनि |

गोनुकें हरलनि ने फुरलनि, किछु दिनक बादसं दिन भरि तs कम्मलकें ओछान बना ओछबs लगलाह मुदा साँझ होइतहि भिजा देथि | तहिना महींसक जखन दुहबाक समय होइक, ओ ओकरा छौंकी लs कs छौंकिआबs लागैत छलाह |

भोनुकें लेनीक देनी पड़ी गेलनि | जखनहि ओ दुध दुहs लेल बैसथि कि गोनू छौंकी लs कs तैयार | तहिना रातिकs भीजल रहने कम्मलक उपयोग नहि कs पबैत छलाह |

तमसायल भोनू पुनः पंचैती बैसओलनि | गोनू कते कहलथिन जे पंचक चक्कर मे नहि पड़ह, नहि तs बिलटि जयबह | मुदा ओ माननिहार नहि | पंच सभ बैसलाह, मुदा गोनुक तर्कक सोझाँ सबहक मूहँ फक्क रही गेलनि | कारन पंचैतीक अनुसार ओ अपन समानकें कोना कोन रूपें उपयोग करताह तकर हिदायत तs नहि देल गेल रहैक |


अन्तमे पंच सभ अपन मूहँ लेने बिदा भेलाह तथा गोनू भोनूकें पंच सभ चालिक मादे बुझा तथा ओकरा पटिया अपना दिस कs लेलनि | ओ दुनु पुनः संगे रहs लगलाह |

एक दिन गमक मुखिया राज दरबारमे पहुँचलाह तथा महींसक प्रशंसा करैत गोनुक राजाक प्रतिये घृणा - भावक बखान करय लगलाह | राजाक तुंरत फरमान बहरायल | चारि सिपाही गोनू झाक गाम दौड़ल | मुदा गोनू झा महींस देवासं साफ़ मुकरि गेलाह | सिपाही मुँह बिधुअओने घुरल | राजाकें पता लागिते आगि लेसि देलकनि | आ तुरत दोसर सिपाही आदेश देलनि जे एखनि दुटा कसाइकें पठा ओकर महींसकें बाधेमे मारि देल जाय |

एहि आदेशक जखन गोनू झाकें भनक भेटलनि तs सोझे दरबारमे पहुँचलाह - सरकार महींस हमर बड़ हडाहि अछि | एकरा मर बाबाइये देल जाय मुदा एकटा निवेदन जे ओकर खाल हमरा भेटबाक चाही |

राजा द्वारा प्रशन कयला पर गोनू झा कहलथिन जे हम ओकर खालसंएक नहि हजार बना लेब | राजा गोनुक बुरबकइकें सहर्ष स्वीकार लेलनि |

महींस मारल गेल | गोनू खाल लेने बाध-बोनमे बौआइत रहलाह |

अन्तमे एकटा गाछ पर जा बैसि रहलाह | दिन रातिमे परिवर्तित भेल | निसभेर रातिमे दू टा चोर चोरी कs कs घुरल अबैत छल | ओ सभ ओहि गाछ तर अपन समानक बंटबारा करs लेल बैसल | एक टा चोरकें कने कम सुझैत छलैक | तं ओ कहलक जे भाइ, ठीक सं बाँट - बखरा करिहs, नहि तs बज्र खसतौक |


गोनू झा सभ टा गप्प सुनैत छलाह | एन मौकपर ओहि खालकें चोरबा सभपर फेकलनि | ओ सभ तकरा वास्तवमे बज्र बुझि सब किछु छोड़ी-छाड़ी भागल | गोनू चैनसं नीचा उतरलाह आ सभ वस्तुजात लs घर विदा भs गेलाह |

रातुक घटनाक कानोकान खबरि पूरा गाममे पसरि गेल | किछु माउग एकर रहस्य पता लगाबs लेल हुनकर कोंटा धयलक | गोनू झा पत्नीसं झगड़ाक नाटक रचा एहन - एहन बात सभ बजलाह जे दोसरे दिन गमक सभ महींस कसाइयक ठेहापर चढ़ी गेल आ धन - सम्पत्तिक प्रतीक्षा गामक लोक जंगलमे भगवानक प्रतीक्षा करैत रहलाह | कियक तs गोनू झाक अनुसार भगवानहि द्वारा हुनका अतेक धन - सम्पत्ति प्राप्त भेल छलनि |

मुदा कतहु किछु नहि भेटलनि | सभ मुँह विधुऔने अपना घर घुरs लगलाह तथा गोनुकें देखि नुकाय चाहलनि |

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