Monday, October 05, 2009

गोनू झा आ सेठजी


एक समय गोनू झा गरीबीक दिन काटि रहल छलाह | एकटा सेठसं ओ सय टाका कर्ज लेलनि | ओकर सुदि बढ़ैत गेल, जे हजार धरि ठेकि गेल |

एक दिन सेठजीकें पता लगलनि जे गोनू झाक पुत्र विवाह भs रहल छानि | ओ सोचलनि जे ऐन मौका पर ओतs पहुँचल जाय | अपन इज्जति बचयबाक लेल ओ कर्ज अवश्य दs देताह |

गोनू झा पाहून परकक सेवा - सत्कारमे लागल छलाह | सेठजीकें देखि़ते हुनकर प्राण सुखा गेलनि | मुदा अपन बुधिसं काज लेलनि | ओ खूब आदर सत्कारसं हुनका बैसोलनि तथा काफी विन्यासपुर्वक भोजन करओलनि | सेठजी हुनकर एहि व्यवहारसं अति प्रसन्न भेलाह | गोनू झा हुनका भोजनोपरान्त एकांतमें लs जाकs अनुनय कयलनि -सेठ जी, हमरा पूस मास धरिक समय दिअ | हम ओहि मासक पूर्णिमाके सुदि समेत अपनेक मुरि सधा देब |

गोनू झाक आवभगतसं प्रसन्न सेठजी हुनकर बात मानि गेलाह |

धीरे धीरे कातिक बीतल | आगहन सेहो समाप्त भेल | पुसक पूर्णिमा सेहो लगचिया गेल | ठीक पूर्णिमाकें सेठजी गोनू झाक दलान पर छलाह |

मुदा गोनू झा तs पूर्वहिसं तैयार छलाह | सेठजीक अयबाक खबरि लागिते ओ एकटा रस्सी लेने आगनसं बहरयलाह आ लगक गाछ पर चढ़ी गेलाह | रस्सीक एक छोर गाछमे बान्हि दोसरसं अपन गर्दनमे ससरफानी लगा लेलनि |

इ सभ देखि सेठजी विचलित भs उठलाह - ई की करै छी गोनू बाबू?

- " सेठ जी " अहाँ हमर जीवनकें नर्क बनाकs राखि देलहूँ अछि | " गोनू झा बजलाह - - ' हमर इज्जति धरि माटिमे मिला देलहूँ | एहन जिनगीसं मृत्यु नीक | आइ हम अपन जीवनकें अन्त कs लेब | आब आहांकें ब्रह्महत्या लागत आ हमरा सदाक लेल कर्जसं मुक्ति भेटी जायत | "

गोनू झाकें बुझबयाक उधेश्यसं सेठजी हुनका कहलथिन जे एहि लेल ई बात नीक नहि | अहाँ नीचा उतरि आउ आ एखन जतवे होइए, ततवे दs दिअ |

मुदा गोनू झा अपन जिद पर अड़ल छलाह - ' आब तs अहाँकें ब्रह्महत्याक पाप लगबे करत ओ ताहि कारण राजा अहाँकें फाँसी पर लटका देताह | "

- " अहाँ उतरि जाउ गोनू बाबू, हम अहाँक आधा सुदि माफ़ कs देब | अहाँ पूरा सुदि माफ कs देब, हम तैयो नहि उतरब | "

सेठ जी कल जोड़ी लेलनि | मुदा गोनू ताहू पर नहि घमलथिन | आ अपन गरदनिमे बान्हल रस्सिकें कमय लगलाह |

सेठ जी घबड़ा गेलाह - " अहाँके हम पुरोसं कम कs देब | जतबे होअय ततवे दिअ | मुदा गाछ्परसं उतरि जाउ | हमरा संकटमे नहि दिअ | "

मुदा गोनू झा अपन गरदनि़क रस्सी कसिते जा रहल छलाह - ' सुनै जाइ जाउ ओ गौआँ सभ, ऐ सेठसं आजिज भs हम आत्महत्या कs रहल छी | अहाँ सभ कने राजाकेँ ई खबरि पहुँचा दिअनु | "

हुनकर एहि क्रियापर गामक लोक सभ जमा होबs लागल | सेठ जी अनुनय करैत बजलाह - " गोनू बाबू अहाँ गाछपरसं उतरि जाउ | हम मूरमे सं सेहो आधा माफ कs देब | अहाँ मात्र पचास टाका दs दिअ | "

- " हमरा लग तs एकटा दोकड़ा नहि अछि | "

" नहि अछि तs कोनो बात नहि | अहाँकें हम एक मासक समय आओर छी |

- " सुनी लै जाउ ओ गौआँ सभ! ई हमरा एक मास धरि तंग नहि करताह |

" गोनू बाबू हम एक माससं पूर्व अहाँ ओतय टपबो नहि करब | "

- "अच्छा तs हम उतरि जाइ छी |


एक मासक बाद ठीक ओही दिन गोनू झा आंगनमे एकटा यगकुंड बनओलनि | कुंडक आगू कागजक पुतरा रखलनि आ ओकर भीतर आगि | आ ओकर भीतर आगि | आ ओकर ऊपरमे एकटा बासनमे कडू तेल बड़कs लेल राखि देलनि | पलथी मारि कातमे एकटा कमंडल राखि भजन गाबय लगलाह | तखने सेठ जी पहुँचलाह | हुनका पूजा करैत देखि चुपचाप बैसी रहलाह | किछु काल धरि तs गोनू झाक ध्यान टूटबाक प्रतीक्षा कयलनि | भोरसं सांझ भs गेल मुदा हुनकर ध्यान नहि टूटल | अंतमे ओ हुनक देहकें झिकझोरि देलथिन |

गोनू झाक ध्यान भंग होइते ओ क्रोधसं लाल भs उठलाह - " सेठजी तों हमरा ध्यान भंग कs भगवानके कुपित कयलह अछि | तोहर सर्वनाश निकट छह | ठहरह, पहिने ऐ पुतराकें भस्म कs अपन मंत्रक जाँच कs ली, तखन तोहरी भस्म करैत छी | "

ई कहैत गोनू झा कमंडल उठओलनि | ओहिमेसं एक चुरुक जल बहर कयलनि | तत्पशचात क्रोधक संग ओहि कागजक पुतरा पर जलक छीटा मारलनि | छीटा कड़कैत तेलमे पड़ल आ आगि तुरत दहकि उठल | पल भरिमे कागजक पुतरा जरि कs छाउर भs गेल |

गोनू झा जखन सेठ जी दिस घुसलाह आ कहलथिन - " देखि लेलह हमर सिद्धि! आब हम तोरा भस्म करैत छी |

सेठ जी ओतयसं पड़यलाह | फेर कहियो खोज करs नहि अयलाह |

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