Thursday, October 08, 2009

गोनू झाक बिलाड़ी


राजाकें एक बेर इच्छा भेलनि अत्यंत चतुर दरबारीक | एहि दृष्टिसं ओ दरबारी सभक एकटा बैसार आयोजित कयलनि | बैसारमे ओ कहलनि जे हमरा एकटा अत्यंत चतुर दरबारीक प्रयोजन अछि | ओकरा हम विचारकक रूपमे नियुक्त करs चाहैत छी, संगहि एहि विधायमे पारंगत व्यक्तिकें किछु बहुमूल्य उपहार देबs चाहैत छी |

हुनक एहि विचारकें सुनि सभ दरबारी अपन - अपन बुद्धि - चातुर्यक परिचय - देबs लगलाह | मुदा राजा कोनहु दरबारीक चातुर्यसं संतुष्ट नहि भs सकलाह | परिणामस्वरुप राजा बुद्धिक परीक्षाक लेल एक टा व्योंत निकाललनि आ कहलनि - ' हम प्रत्येक दरबारीकें एक - एकटाकs महींस आ एक - एकटाकs बिलाड़ी देबs जा रहल छी | सभ गोटे महींसक खूब सेवा करब आ ओकर दूध बिलाड़ीकें पिआयब | एक वर्षक बाद जिनकर बिलाड़ी स्वस्थ आ तन्दुरुस्त रहत हुनकहि हम अपन सलाहकार नियुक्त करब | '

सभ गोटे अपन - अपन जीव - जन्तु लs कs प्रस्थान करैत गेलाह आ जीजान अरोपि महींस आ बिलाड़ीक सेवा करs लगलाह |
गोनू झा सेहो किछु दिन महींसक सेवा कयलनि तथा ओकर दूध बिलाड़ीकें पिअओलनि | मुदा एक दिन हुनकर मोन मे भेलनि जे हमरा सं बूड़ी के अछि जे खून - पसीना एक कs महींसकें पोसत आ ओकर दूध बिलाड़ीकें पिआओत! ओ एहि बात पर मंथन कयलनि का ओनो निजगुत व्याज बहार करबा लेल अपसियांत रहय लगलाह |

एही क्रममे एक दिन भिनसरू पहर महींस दुहलनि आ ओकरा बिलाड़ीकें देबाक बदला बथान तयान सं सोझे घर लs गेलाह | पत्नीकें कहलथिन जे एकरा नीक जकाँ औंटू |

एम्हर बिलाड़ी गोनू झाक पाछू 'म्याउ - म्याउ ' करैत चिनमार घारि ठेकि गेल | गोनू दया आबि गेलनि | तुरत एकटा बट्टा म एक ओरिका गर्म दूध ढ़ारिलनि आ ओकरा बिलाड़ी दिस बढ़ा देलनि | बिलाड़ी आंखि मूनि ओहि दूध पर टूटि पड़ल | चोट्टे निछोहे ओताsसं पड़ायल | ओकर पूरा मुँह पाकि गेल छलैक |


एकर पशचात एहन स्थिति भेल जे दूधकें देखिते हुनकर बिलाड़ी एक लग्गी फटकी जा ठाड़ रहय लागल | जेना ओकरा दूध दिससं एक तरहे चीते उचटी गेलैक |

एम्हर साल पुरल चलल गेल | गोनू झाक बिलाड़ी एकदम्मसं कांट - कांट भs गेलनि |

ठीक समय पर सभ दरबारी राजाक सोझा हाजिर होइ़त गेलाह | राजा सभक बिलाड़ीक निरीक्षण कयलनि तथा ओकर स्वास्थ्य देखि प्रसन्न होइत गेलाह | मुदा सनटिटही भेल गोनू झाक बिलाड़ी देखि हुनका बड अजगुत भेलनि |

एहि प्रसंग पर जखन गोनू झा सं प्रशन कयलनि तं ओ अपन सिथ्ती स्पष्ट करैत कहलथिन जे सरकार ई एहन अलच्छ अछि जे दूध देखि एक लग्गी पाछू पड़ा जाइत अछि |

राजाकें गोनू झाक बात पर सहसा बिश्वास नहि भेलनि | ओ एकर परीक्षा करब आवश्यक बुझलनि तथा तुंरत एतद् सम्बन्धी आदेश निर्गत कयलनि |

एम्हर अन्य दरबारी सभ प्रसन्न | भने गोनू झा फसलाह | दूध अओतैक आ ओकरा बिलाड़ी पीबे करतैक तथा गोनू झा सोझे - सोझे फाँसी पर चढ़ी जयताह |

मुदा परिणाम वैह भेल जकर बखान गोनू झा कयने रहथि | दूध देखैत देरी बिलाड़ी ओतsसं निछोहे पड़ायल |

राजा गोनू झाक बुधियारी पर छुब्ध रहि गेलाह हुनकर बुधियारीक मर्म बुझैत हुनका अपन विचारक नियुक्त कs लेलनि तथा अन्य दरबारीकें मुर्ख बुझि दरबार सं बहार कs देलनि |

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