Wednesday, October 14, 2009

पड़ोसी आ व्यापारी सेहो छकल


गोनू झा परम वीर, धूर्त एवं कौतुकप्रिय व्यक्ति छलाह | राजाक दरबारमे हुनकर बड़ पूछ छलनि | हुनकर एहि पूछ देखि किछु व्यकात्तिकेँ बड़ इर्ष्या होइत छलनि | ओ सभ गोनू पाछू पड़ी गेलाह | मुदा हुनका व्योंतसँ परास्त नहि कs सकलाह |

अंतमे आजिज भs ओ सब हवेलीमे आगि लगा देलनि हवेली धह - धह जरs लागल | मुदा गोनू एहिसँ अप्रसन्न नहि भेजलाह | ओ सपरिवार बाहर आबि गेलाह आ ढोल - झालि लs कs गीत गाबs लगलाह |

दुष्ट लोक सभकेँ ई लीला देखि तरातट लागि गेलैक | ओ सभ क्रमशः हुनक जिज्ञासामे आबs लागल | गोनू झा सभकेँ एके बात कहलथिन जे हमार भविष्य सुन्दर अछि तं भगवान ऐना कयलनि अछि | आं हम तं ब्राहमण भोजन करयबाक सोचि रहल छी |

गोनू झा अपन जरल हवेलीक सभ छाउरकेँ बोरा सभमे कसलनि आ भाड़ा पर बड़दगाड़ी कs हाट दिस चलि पड़लाह | परिवारकेँ बचल छाउरक संग घरमे छोड़ी देलनि |

हाट पहूँचि खूब ताम - झामक संग अपन पसार लगओलनि | गाड़ीकेँ एक कात कयलनि | बरदकेँ पतियानीसँ गाछ सभमे बन्हलनि | बाँसक फट्ठीसँ अपन पसारकेँ घेरलनि तथा छाउरक बोरा सभकेँ सैतिंकs राखि स्वंम सेठ जकाँ ओतs ओंगाठी कs बैसी रहलाह |

हुनकर बगलक व्यापारी सेहो मालदार असामी छल | काफी असार - पसार छलैक | मुदा गोनू झाक धाही देखि हुनकर पारखी आंखि एम्हर उन्मुख भेल | ओ गोनू झासँ पुछलथिन - ' अपने अपन समानक ले एते अपसियांत कियक छी? कालिहसँ भोजनों नहि कयलौं अछि | "

- गोनू झा कहलथिन - " अतेक वस्तु - जात छोड़ी कोना भोजन करू? "

- " तs एना कतेक दिन रहब? "s

- " हम तs ब्राह्मन छी | मासों दिन धरि उपवास कs सकैत छी | "

- " आखिर एहिमें कोन एहन बहुमूल्य समान अछि जे अहाँ अन्न - पानि धरि त्यागने छी? "

गोनू हुनका पोचारा देबs लगलाह - - " ई अमूल्य समानक भण्डार अछि, एकरा भस्म कहल जाइछ | एकर मूल्य सोनासँ सय गुना बेसी तथा हीरासँ हजार गुना बेसी अछि | एकर मूल्य कोनो अनुभवी वैध अथवा हकीम टा बुझि सकैत अछि | क्यों आओत आ लाख दू लाख टाका दs लs जायत |

व्यापारीकेँ लोभ संवरण नहि भेलैक आ एकरा कोनहुंचा पटयबाक योजना बनबs लागल कि एकाएक एक दिन बाद राति कs गोनू झाक मोन खराब भs गेलनि | ओ बाप - बाप करय लगलाह | तुंरत उक्त् व्यापारी अपन सभ सहयोगीक संग हिनक उपचार करय लागल आ तुरंत स्थिति बेसम्हार होइत देखि आदेश देल जे झट हिनका कोनो वैधक ओतs लs गेल जाय, नहि तs हिनक प्राण बांचब कठिन भs जयतनि |

सभ राता - राती गोनू झाकेँ उठा - पुठाकs वैधक ओतs लs लेगनि | एम्हर एकदम फर्द पाबि व्यापारी हाथ साफ़ कयलक आ अपन वस्तु - जातक मोह छोड़ी गोनू झाक समस्त पूंजी लs नओ - दू - एगारह भs गेलाह |
थोड़बे कालक बाद गोनू झाक भक्क टूटलनि | स्वंमकेँ कतहु अन्यत्र पओलनि | तुरत बाप - बाप करैत हाट दिस पड़यलाह | अपन पसार सुन्न देखलनि | हारिकs अपन पड़ोसी व्यापारिक गाड़ी हकलनि आ विदा भेलाह अपन घर कs ई कहैत जे आब जे भेल से तs भैये गेल |


घर आबि गाड़ी रोकबओलनि | लादल सामानकेँ घरमे रखलनि तथा बरदकैँ बान्हि गाड़ी सभकेँ एक कातसँ लगा जs सभकेँ बोनि दs ओ अपन घरमे गेलाह | बोरा सभकेँ फोलि - देखs लगलाह | चीनी - सोनाक आभूषण बोरा सभमे गजल छल |

आब गोनू झा पहिनेसँ बेसी सम्पन्न भs गेलाह | धीरे - धीरे सभ गहना - गुड़ियाकेँ बेचि जमीन - जाल किनलनि तथा एकटा नवका हवेली बनओलनि |


जखन एहि रहस्यक पता हुनका प्रतिद्वन्द्वी सभकेँ - लगलनि तs ओहो सभ अपन - अपन घरमे आगि फुकि लेलनि आ ओकर छाउर बोरामे कसि - कसि हाट दिस विदा होमs लगलाह |

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