Wednesday, October 21, 2009

गोनू झाक मादे


हमरा गोनू झाक मादे किछु नहि कहबाक अछि | गोनू झा स्वयं एक टा चरित्र छथि जे अपने खिस्सामे बहुत किछु कहि जाइत छति |

गोनू झा कोनो खिस्सा नहि लिखलनि | हुनकर सम्पूर्ण जीवने एहन-एहन विशेषतासं भरल - पुरल छल जे ओ खिस्सा बनि गेल | आ जे खिस्सा एखन मिथिलाक गाम - गाममे बूढ - पुरनियांसं सुनल जा सकैछ, प्रसंगवश कोनो उदहारणमें प्रयोग होइत देखल जा सकैछ |

अपन देशमें एहि चरित्रसं मिलैत - जुलैत बहुतो चरित्रक खिस्सा प्रचलित अछि. जाहिमे प्रचलित अछि बीरबल, तेनालीराम, गोपाल भीड़, देवन मिसर, आदि | मुदा गोनू झा एहि सभसँ भिन्न छथि | हिनक खिस्सामें अलगटटे चिन्हल जा सकैछ, कारण एहि खिस्सा सभक ह्रदय रहैत छैक धुर्तई | आ तें गोनू झाकें ' धूर्त - शिरोमणि ' क विशेषणसं अभिहित कयल जाइत अछि | गोनू झा वीरबल, तेनालीराम, गोपाल भांड, अथवा अन्य अन्य परिचित चरित्रसं भिन्न रहने एखनो जीवित छथि |

गोनू झाक ई चरित्र - कथा कतहु लिपिदिध नहि अछि | एही कथा सभकें मिथिलामें कहबाक परम्परा रहल अछि | आ जे नाटकक एक उपांग ' एकालाप ' सदृश होइछ | कथा कहबा काल कथावाचक किछु बात तं शब्दशः कहैछ मुदा बहुत रास बात ओकर भाव - भंगिमा द्वारा अभिव्यक्त होइछ | आ सैह भावः - भंगिमा गोनू झाक चरित्र - कथाक चमत्कार अछि | अर्थात् जखन कथामे निहित धुर्तई आ कथा वाचकक भावः - भंगिमा संगमे होइछ तखने गोनू झाक असली कथाक सागर लहरा उठैछ |

माँ कालीक आशीर्वाद


मिथिलामे माँ काली शक्तिक अवतार मानल जाइत छथि | गोनू झा हुनकहि उपासक छलाह | हुनक उपासना कयलाक बादहि ओ कोनो आन काज करैत छलाह | तेँ हुनका प्रत्येक काजमे सफलता भेटैत छलनि |

एक दिन गोनू झा निशचय कयलनि जे, जेना हो, माँ कालीक दर्शन कायल जाय | एहि लेल ओ निरन्तर हुनक आराधना करय लगलाह | काली प्रसन्न भेलथिन आ निशचय कयलनि जे साक्षात् दर्शन देबासँ पूर्व गोनू झाक साहसक परीक्षा लेल जाय |

एक राति गोनू झा सूतल रहथि | निसभेर रातिमे माँ कालीक दर्शन देलथिन | हुनकर रूप विकराल छल | एक सय मुहँ रहनि मुदा हाथ दुइये टा | गोनू बाबू हुनकर ई रूप देखि कनिको विचलित नहि भेलाह | ओ पहिने तs हुनका प्रणाम कयलनि मुदा गोनू ठठाकs हँसि पड़लाह |

माँ कालीककेँ विशवाश रहनि जे हुनकर ई भयंकर रूप देखि गोनू झा विचलित भs उठताह, मुदा हुनका हँसैत देखि पुछलथिन - " की, हमर ई रूप देखि अहाँकेँ डर नै भेल? "

गोनू झा कहलथिन - माँ बाघसँ डर होइत छैक मुदा ओकर बच्चा ओकरासँ कनेको नहि डराइत अछि, अपितु ओकरा देह पर कदैत - फनैत रहैत अछि | तखन अहीं कहू जे अहाँ सँ अहाँक नेनाकेँ डर लगतै? "

माँ काली कहलथिन - " गोनू अहाँक मन्तव्य एकदम सत्य अछि | मुदा ई तs कहू जे हमरा देखि अहाँकेँ हँसि कियक लागि गेल? "

गोनू झाक उत्तर भेलनि - " हे माँ हमरा मात्र एक मुहँ आ एक नाक अछि, मुदा दु टा हाथ रहितो सर्दी भेला पर नाक पोछैत - पोछैत फिरीसान रहैत छी " |

- " अहाँ कहs की चाहैत छी ? "

- " अहाँकेँ एक सय मूँह आ एक सय नाक अछि, मुदा हाथ दुइये टा | हमरा चिन्ता भs गेल जे सर्दी भेला पर अहाँ अपन नाक सभ कोना पोछैत होयब | आ यैह कल्पना करैत हमरा हँसी लागि गेल " |

एकटा छला गोनू झा

गोनू झाक ई परिहास सुनि माँ काली से हो हँसि पड़लीह आ बजलीह - " गोनू' अहाँ बुधियार भक्त छी | हमरो अहाँ नहि छोड़लहूँ | जाउ हमर आशीर्वाद अछि जे आहाँकेँ धूर्ततामे क्यो नहि हरा सकँए | "

पिताक आशीर्वाद


गोनू झाक पिताकेँ ज्योतिषी लोकनिसँ हाथ देखेबाक बड़ सौख रहनि | दूर दूरसँ हस्तरेखा देखनिहार आबथि आ हुनका बूडि बना पाइ ऐंठी, विदा भs जाइत छलाह |

एक दिन गोनू झाकेँ किछु पैसाक आवश्यकता छलनि | ओ अपन पितासँ छलनि | ओ अपन पितासँ पाइ मँगलनि मुदा पिता पाइ देब अस्वीकार कs देलथिन | तखन गोनू झा हुनक दुर्वलतासँ लाभ उठ्यबाक व्योंत लगओलनि | आ एकटा नाटक मंडलीमे गेलाह | ओतsसँ गेरुआ वस्त्र, जटा आ एकटा कमण्डल भाड़ा पर लs अनलनि | पशचात ओ गेरुआ वस्त्र पहिरलनि, माथ पर जटा जगओलनि, देहमे विभूति लेपलनि तथा हाथमे कमण्डल धारण कs अपन घरक मुहँथरि पर पहुँचि गेलाह | महात्मा बुझि गोनू झाक पिता हुनका बड़ आदरसँ बैसओलनि आ पुछ्लनि - " महाराज, कतs आगमन भेलैक अछि? "

महात्माजी मुहँ पर आंगुर राखि स्वयंकेँ यौनी बाबा कहलनि आ इशारासँ बुझओलानी जे हम सिलेट - पाटी पर लिखिकs गप्प करब |

गोनू झाक पिता महात्माजीकेँ नीक - निकुत भोजन करओलनि | तदुपरांत अपन भाग्यक मादे जिज्ञासा कयलनि |

महात्माजी गोनुझाक पिताक - आगू - पाछंक सम्पूर्ण खेढ़ा कहि देलथिन | ओ ई सुनि गद् - गद् भs गेलाह तथा महात्माजीकेँ दक्षिणास्वरुप बहुत रास धन एवं एकटा औंठी प्रदान कयलनि |

एम्हर महात्माजीक भविष्यवाणी पर सम्पूर्ण गाममे हल्ला मचि गेल | सभ अपन - अपन भाग्य पुछबाक लेल हुनका लsग आबs लागल |

महात्माजी सभक वखान करैत धन बटोरय लगलाह | किछुए दिनमे बहुत रासधन एकट्ठा भs गेलनि आ ओ ओतsसँ डेरा तोड़लनि | गामसँ बहरा ओ अपन हुलिया बदललनि आ अपन वास्तबिक भेषमे आबि गेलाह | महात्माक भेषके नाटक - मंडलीकेँ सुपुर्द कs किछु दिन भरि एम्हर - ओम्हर मटरगस्ती करैत रहलाह |

एक दिन सहसा ओ घर घुरलाह | पिताकेँ हजारो टका आ एकटा औंठी देलनि |

अपन औंठी देखि गोनू झाक पिताकेँ बड़ अचरज भेलनि, ओ पुछलथिन - " अयँ हओ, ई औंठी कतs भेटलह | '

गोनू झा सम्पूर्ण रहस्य फोलि देलथिन | आब हुनकर पिताकेँ नहि रहल गेलनि, ओ कहलथिन - " गोनू, तों तs बापोकेँ नै छोड़लह! | "

- " बाबू, अपने घरमे पहिने बुद्धिक परीक्षा लेबाक चाही आ तखन बाहरक लोक पर हाथ साफ़ करबाक चाही | अहाँ हमरा आशीर्वाद दियs जे हम ऐ विद्या प्रसादे सफल होइत रही | "

- " बेटा संतानकेँ सदा पिताक आशीर्वाद रहैत छैक | तों ऐ पेशामे माहिर बनs तथा तोहर ख्याति दिन दुन्ना - राति चौगुन्ना पसरैत चलि जाओ |

गोनू झा माथ नबाकs पिताक आशीर्वाद ग्रहण कयलनि |

गुरुक आशीर्वाद


गोनू झा नित्य पाठशाला तं जाइत छलाह मुदा पाठ कहियो याद नहि करैत छलाह | गुरु जी हुनका डाँट - दबाड़ करैत छलथिन मुदा ओ तकर कनिको फिकिर नहि करैत छलाह |

एक दिन गुरूजी सभ विद्यार्थीसँ पाठ सुनि रहल छलाह | सभ गोटे अपन - अपन पाठ सुना देलनि, मुदा गोनू झाक बेर अयलनि तं ओ कहलथिन - गुरूजी आइ नै काल्हि सूना देब |

गुरूजी बजलाह - " अच्छा, जँ काल्हि नहि सुनयबी तs पीठक खाल खीचि लेबह | "

छुट्टी भेल | सभ विद्यार्थी अपन - अपन घर चलि पड़लाह |

दोसर दिन सभ विद्यार्थी पाठशाला पहुँचला | गोनू झा सभसँ आगू अपन जगह पर डटल छलाह |

कनेक कालक बाद गुरूजी कक्षामे अयलाह | ओ गोनू झासँ - " की गोनू, पाठ याद कयलौं ने ? "

- " हँ गुरूजी | '

- " तs सुनाउ! "

- " आइ नै, काल्हि गुरूजी! "

- " से कियक? "

- " अहाँ आइ नै, काल्हि सुनयबाक लेल कहने रही! "

गोनू झाक बुधियारी गुरूजी बुझि गेलाह, ओ कहलनि - " गोनू, हम अहाँकेँ चीन्हि गेलौं अछि | हम अहाँक खाल घीचि लेब !

- " गुरूजी ! हम वर्ख दिनसँ पाठशाला आबि रहल छी | हम गोनू छी | आ से अपने अखन धरि चिन्हने नै रही? "

- " हम आहाँ केँ नीक जकाँ चीन्हि गेल छी | अहाँ एक नम्बरक फनटूस लड़का छी | हम आइ फेर कहि दैत छी जे काल्हि अर्थात वृहस्पतिकेँ सम्पूर्ण पोथी समाप्त कs नै अनलौं, तs बुझि लिअs जे अहाँक कुशल नहि अछि |


- ' जे आज्ञा गुरूजी | " गोनू नहुएसँ बजलाह |

वृहस्पतिकेँ गोनूझा समय पर पाठशाला पहुँचलाह | अबितहि ओ गुरूजीसँ कहलनि - " गुरूजी, हम पोथीकेँ समाप्त कs देल अछि | "

- " लाउ पोथी ! एखने हम पुछै छी | "

- " हम तs ओकरा काल्हि सांझहिमे समाप्त कs देलहु, आब कतs सँ दिअ?

- " हम कहै छी, पोथी लाउ ! "

- " अहाँ नै बुझलियै गुरूजी, हम अहाँक आज्ञानुसार काल्हि जाइते पोथीकेँ फाड़ी समाप्त कs देल | "

- " रे गोनुआ! हम कहि दै छिऔ, काल्हि नव पोथी कीनि कs पाठ नै सुनयलें तs तोहर प्राण लs लेबौ | "

- " अबस्स लs लेब गुरूजी! मुदा ई तs बुझा दिअ जे प्राणक की रूप अछि? "

- " प्राणक कोनो रूप नहि होइछ गोनू | ई प्रत्येक शरीरमे हवाक रूपमे वर्तमान रहैत अछि!

- " तखन तs हम एखनो बुझा दैत छी | "

- " की? "

- " यैह जे नव पौथीक लेक माय हमरा पाइ नहि देतीह तेँ हमार शारीरसँ प्राण लs लिअ एखने प्राण दs रहल छी | " आ ई कहैत गोनू झा मुँहसँ हवा छोड़य लगलाह |

गुरूजीकेँ हँसी लागि गेलनि, ओ कहलथिन - " गोनू, तोरा विद्या नहि लिखल छह | परंच बुधयारीमे तोरा क्यो पछाड़ी नहि सकैत छथुन | ई आशीर्वाद छह | "

गोनू झा माथ झुका ई आशीर्वाद ग्रहण कयलनि |

Monday, October 19, 2009

चोर सेहो छकल


गोनू झाकेँ भगवतीक आशीर्वाद रहनि जे तोरा क्यो पराजित नहि कs सकैत अछि | आ जहिया तों पराजित होयबह ओ तोहर अंतिम दिन होयत | मुदा से बादमे | एखन अपराजेय गोनू झासँ साक्षात्कार करी |

एक राति गोनू झा भांग पीने बुत्त छलाह | जेठ - वैसाखाक मास | अउलसँ त्रस्त छल सम्पूर्ण वातावरण | मुदा गोनू झा, जाड़ रहओ वा गर्मी, रातुक विश्राम ओ घरहिमे करब श्रेयस्कर, स्वास्थ्यानुकूल एवं व्यावहारिक बुझैत छलाह | मुदा ओहि राति विपरीत चालि छल | भोजन करवाक लेल जखन आंगनमे अयलाह तं भोजनसँ पहिने पत्नीकेँ कहि देलथिन जे आइ बेसी अउल छैक | ओछाओन कs देब |

पत्नीकेँ किछु भांज नहि लगलनि | सोचलनि जे आइ हिनका की भs गेलनि अछि | मुदा कोनो प्रकारक टोकारा नहि देलनि | आंगनमे खाट ओछाओन कs देलथिन |

गोनू झा भोजनपरांत ओछाओन पर अयलाह | बगुलीसँ चून - तमाकुल बहार कयलनि आ प्रेमसँ तकरा चुनबय लगलाह |

जखन चुनाओल भs गेलनि तं ओकरा दू - चारि थापड़ मारि ठोरस्थ कयल | तकरा बाद कल्याण - करोटि देलनि | चट पूरा मूँह पीकसँ भरि गेलनि | उठलाह आ जुमाकs डबल पीक तुलसीचौरापर देलनि | चौरामे तुलसीक गाछ रहैक झमटगर जे चौरा दृष्टिगोचर पर नहि भs रहल छल |

गोनू झा पीक - पर - पीक फेकने जाथि | तुलसी पर पीक पड़य आ तेँ कनेक सन झड़झड़ी होअय आ पुनः शांत भs जाय |


थोड़ेक कालक बाद गोनुआइन सभ काज - धाजसँ फुरसत पाबि गोनूक लग अयलीह | हूनकर ई क्रिया देखि क्रोध भेलनि | जाहि चौरा पर ओ नित्य जल ढारैत छथि, धूप - दीप देखबैत छथि मनोयोगसँ पूजा करैत छथि तकर ई दुर्गति देखि हुनकर तामस सातम आसमान पर पहुँची गेलनि |

थोड़ेक काल चुप्पे रहलीह | मुदा गोनू बाबूक क्रिया - कलापमे कोनो प्रकारक परिवर्तन नहि अयलनि तं बाजि उठलीह जे - की अहाँ बताह भs गेलहुँ अछि | भगवानकेँ एना थूके - थूक करैत एकोरत्ती ग्लानि नहि होइत अछि | जेना - जेना बूढ़ भेल जाइत छी, तेना - तेना अहाँक बुद्धि भ्रष्ट भेल जाइत अछि |

गोनू झा बड़ी कालक पत्नीक प्रवचन सुनि रहल छला | मूँहमे पीक जमा भs गेल छलनि | सभकेँ समेटि एक बेर फेर जुमाकs तुलसी पर फेकलनि आ तामस प्रदर्शन करैत धयले थापड़ पत्नीक गाल पर मारलनि | पत्नी कानब आरम्भ कs देलनि |

हुनकर ई अरण्यरोदन सुनि सम्पूर्ण टोलक लोक जूटि गेल जे गोनू बाबूक आँगनमे एखन कोनो घटना भs गेलनि | सभ अबाक छल |

जखन सभ जुटि गेलाह, गोनू झा कहलथिन जे लगाती अछि जे आहान सभ गोटे आबि गेलहुँ | हमर बूढ़ीक एहि रोनाक कारण छथि तुलसीक झोंझमे बैसल हमर प्रिय मित्र आ कहैत उठलाह आ तुलसीचौरामे नुकयाल चोरक टीक पकड़ने बीच आँगन पहुँचि गेलाह |

सभ गुम्म | गोनूक पत्नी सेहो गुम्म | जाबत ओहि चोरक अग्रिम क्रिया हो, ताबत ओ सोझे गूनूक पयर पर खसि पड़ल - गोनू बाबू आब नहि |

Wednesday, October 14, 2009

पड़ोसी आ व्यापारी सेहो छकल


गोनू झा परम वीर, धूर्त एवं कौतुकप्रिय व्यक्ति छलाह | राजाक दरबारमे हुनकर बड़ पूछ छलनि | हुनकर एहि पूछ देखि किछु व्यकात्तिकेँ बड़ इर्ष्या होइत छलनि | ओ सभ गोनू पाछू पड़ी गेलाह | मुदा हुनका व्योंतसँ परास्त नहि कs सकलाह |

अंतमे आजिज भs ओ सब हवेलीमे आगि लगा देलनि हवेली धह - धह जरs लागल | मुदा गोनू एहिसँ अप्रसन्न नहि भेजलाह | ओ सपरिवार बाहर आबि गेलाह आ ढोल - झालि लs कs गीत गाबs लगलाह |

दुष्ट लोक सभकेँ ई लीला देखि तरातट लागि गेलैक | ओ सभ क्रमशः हुनक जिज्ञासामे आबs लागल | गोनू झा सभकेँ एके बात कहलथिन जे हमार भविष्य सुन्दर अछि तं भगवान ऐना कयलनि अछि | आं हम तं ब्राहमण भोजन करयबाक सोचि रहल छी |

गोनू झा अपन जरल हवेलीक सभ छाउरकेँ बोरा सभमे कसलनि आ भाड़ा पर बड़दगाड़ी कs हाट दिस चलि पड़लाह | परिवारकेँ बचल छाउरक संग घरमे छोड़ी देलनि |

हाट पहूँचि खूब ताम - झामक संग अपन पसार लगओलनि | गाड़ीकेँ एक कात कयलनि | बरदकेँ पतियानीसँ गाछ सभमे बन्हलनि | बाँसक फट्ठीसँ अपन पसारकेँ घेरलनि तथा छाउरक बोरा सभकेँ सैतिंकs राखि स्वंम सेठ जकाँ ओतs ओंगाठी कs बैसी रहलाह |

हुनकर बगलक व्यापारी सेहो मालदार असामी छल | काफी असार - पसार छलैक | मुदा गोनू झाक धाही देखि हुनकर पारखी आंखि एम्हर उन्मुख भेल | ओ गोनू झासँ पुछलथिन - ' अपने अपन समानक ले एते अपसियांत कियक छी? कालिहसँ भोजनों नहि कयलौं अछि | "

- गोनू झा कहलथिन - " अतेक वस्तु - जात छोड़ी कोना भोजन करू? "

- " तs एना कतेक दिन रहब? "s

- " हम तs ब्राह्मन छी | मासों दिन धरि उपवास कs सकैत छी | "

- " आखिर एहिमें कोन एहन बहुमूल्य समान अछि जे अहाँ अन्न - पानि धरि त्यागने छी? "

गोनू हुनका पोचारा देबs लगलाह - - " ई अमूल्य समानक भण्डार अछि, एकरा भस्म कहल जाइछ | एकर मूल्य सोनासँ सय गुना बेसी तथा हीरासँ हजार गुना बेसी अछि | एकर मूल्य कोनो अनुभवी वैध अथवा हकीम टा बुझि सकैत अछि | क्यों आओत आ लाख दू लाख टाका दs लs जायत |

व्यापारीकेँ लोभ संवरण नहि भेलैक आ एकरा कोनहुंचा पटयबाक योजना बनबs लागल कि एकाएक एक दिन बाद राति कs गोनू झाक मोन खराब भs गेलनि | ओ बाप - बाप करय लगलाह | तुंरत उक्त् व्यापारी अपन सभ सहयोगीक संग हिनक उपचार करय लागल आ तुरंत स्थिति बेसम्हार होइत देखि आदेश देल जे झट हिनका कोनो वैधक ओतs लs गेल जाय, नहि तs हिनक प्राण बांचब कठिन भs जयतनि |

सभ राता - राती गोनू झाकेँ उठा - पुठाकs वैधक ओतs लs लेगनि | एम्हर एकदम फर्द पाबि व्यापारी हाथ साफ़ कयलक आ अपन वस्तु - जातक मोह छोड़ी गोनू झाक समस्त पूंजी लs नओ - दू - एगारह भs गेलाह |
थोड़बे कालक बाद गोनू झाक भक्क टूटलनि | स्वंमकेँ कतहु अन्यत्र पओलनि | तुरत बाप - बाप करैत हाट दिस पड़यलाह | अपन पसार सुन्न देखलनि | हारिकs अपन पड़ोसी व्यापारिक गाड़ी हकलनि आ विदा भेलाह अपन घर कs ई कहैत जे आब जे भेल से तs भैये गेल |


घर आबि गाड़ी रोकबओलनि | लादल सामानकेँ घरमे रखलनि तथा बरदकैँ बान्हि गाड़ी सभकेँ एक कातसँ लगा जs सभकेँ बोनि दs ओ अपन घरमे गेलाह | बोरा सभकेँ फोलि - देखs लगलाह | चीनी - सोनाक आभूषण बोरा सभमे गजल छल |

आब गोनू झा पहिनेसँ बेसी सम्पन्न भs गेलाह | धीरे - धीरे सभ गहना - गुड़ियाकेँ बेचि जमीन - जाल किनलनि तथा एकटा नवका हवेली बनओलनि |


जखन एहि रहस्यक पता हुनका प्रतिद्वन्द्वी सभकेँ - लगलनि तs ओहो सभ अपन - अपन घरमे आगि फुकि लेलनि आ ओकर छाउर बोरामे कसि - कसि हाट दिस विदा होमs लगलाह |

Tuesday, October 13, 2009

गोनू झाक खाढेया


एक समयक गप अछि | परोपट्टा भरिमे गोनू झांक नाम पसरि गेल रहनि परिवार सेहो शान्तिपूर्ण ढंगे चलि रहल छलनि | कतहुसं दुःख - चिन्ता - फिरिसानीक दरस नहि | एकदमसं बम्म - बम्म करैत छलाह | गामक लोक हिनक ई अगरैनी देखि भीतरे - भीतरे जरैत रहित छलाह | कोनो गsर नहि भेटैत छलनि जे हिनका चारू नाल चित्त करितथि |

बहुत चिंतन आ परिश्रमक बाद किछु गौंआ मिलि एकटा युक्ति बहार कयलनि | ओ सभ सोचलनि जे कियक ने दुनू भैयारिमे झगड़ा लगा देल जाय |

कि तखनहिसं गोनुक भाइ भोनूकेँ उकसयाबाक क्रिया आरम्भ कs देल गेल | गौंआ सभ भोनूकेँ बुझौलथिन जे तों दिन - राति खटैत रहै छह | तोरे बल पर घर - परिवार चलैत छह | मुदा दोसर दिस तोहर गोनू दिन -राति फुटानी करैत रहित छह हमरा तs लगैए जे तोरासं बइमानी सेहो करैत छह | राजाक दरबारसं हुनका एक - सं एक इनाम - बक्सीस भेटैत रहैत छनि मुदा तकर चतुँर्थाशी घर नहि अनैत छथुन | ई बड़का बइमानी भेल कोनो परिवारक प्रति |

भोनू एहि तरहक बात सभसँ धीरे - धीरे सहमत होबs लगलाह | सोचs लगलाह जे ठीके सभ काज तs हमही करै छी | भैया तs खाली गप्प छाटैत रहैत छथि | ओ बेर - बेर सोचलनि आ अन्तमे निर्णय कयलनि जे आइसँ भैया देखथु अपन घरक काज - धाज | आब हमहीं राज दरबारक टहलान देब |

एहि विषयक बार्ता जखन गोनुक दृष्टिमे देल गेलनि जे तs हुनका पर कोनो प्रतिक्रिया नहि भेलनि | ओ सहर्ष तैयार होइत भोनुक आज्ञा शिरोधार्य करैत घर परिवारक काजमे लागि गेलाह |

भोनू प्रात भेने ठानि कs राजाक दरबारमे पहूँचलाह | दरबार लागल रहैक | ओ अपन अग्रजक आसन ग्रहण कयलनि | राजा सोचलनि जे भs सकैछ | गोनू दुखित पड़ी गेल होथि | अथवा आनहि कोनो कारणे दरबार अयबामे असमर्थ भs गेल होथि | ओ भोनूसँ चोट्टे पुछलथिन जे कहू भोनू, आइ एतs अयबा काल कोनो अचरज देखलहूँ की? कारण एतs अयबामे बेस बिलम्ब भेल |

भोनू चोट्टे उत्तर देल - की कहू सरकार, आइ जे एतs अबैत रही तं बाटमे देखलहूँ यों यों टा (छाती लग हाथ लs जा कs ) के दू टा खढेयाकेँ पड़ायल जाइत | तकरे देखैत रहि गेलहूँ | तेँ विलम्ब भs गेल |

राजाकेँ भोनूक बात पर हँसी लगबाक - बदला क्रोध भs अयलनि | ओ बजलाह जे सभसँ बूड़ी तोरा हमहीं बुझलियहूँ | भरि - भरि छातिक कतहु खढेया भेलैए |

राजा तुरत सिपाहीकेँ आदेश देलनि जे एखन एकरा जेलमे बन्न करह | ई झुट्ठा थिक |

आ भोनू प्रथमहि दिन जेलमे बन्न भए गेलाह |

एमहर भोनूकेँ अयबामे बिलम्ब होइत देखि गोनूकेँ चिन्ता होबs लगलनि | जेना - जेना बिलम्ब होइत जाइक, तेना - तेना हुनकर चिन्ता बढ़ल जानि | अंतमे पाग - मिरजई लगा गोनू दरबारक बाट धयलनि | सोझे जा पहूँचलाह राजा लग | राज हुनका रेबारैत सभ वृत्तान्त कहि सुनौलथिन |

गोनू कनेको विचलित नहि भेलाह | ओ अपन अनुज भोनु़क बातक दहीमे सही लबैत कहलनि जे, सरकार, से की कोनो अजगुत विषय कहलनि भोनू | ओ तs ठीके कहने होयत | हमरा लगैए जे अपनेकेँ देखबामे भांगठ भs गेल होयत - से की? राजा ढीटगर गोनूकेँ तकैत पुछलथिन |

- सरकार!! ओ जे कहने होयत खढेया दिया जे यों - यों ( दुनू हाथसँ संकेत करैत ) क दू टा देखल, से सत्ये किने!! अपने त ओकरा संकेत करैत काल उपरके हाथ देखने हेबै ने |

- हँ, से तs सत्ये ने!!

- मुदा सरकार, ओ निश्चित रूपसँ अपना दोसर हाथ पहिला हाथसँ एक डेढ़ ठट्ठी नीचाँ सेहो रखने होयत | ओहीमे ओकर दोख नहि हेतै |

राजाकेँ गोनू तर्कपूर्ण गप्प पर हँसी लागि गेलनि | ओ तुरत भोनूकेँ जेल - मुक्त करबाक आदेश दैत गोनूकेँ एक सहस्त्र स्वर्ण - मुद्रा दान दs विदा कयलनि |

भोनूकेँ ने तs भाइ दिस ताकि होनि आ ने किछु बाजिये होनि | गोनू मुदा हुनका पीठ पर हाथ फेरैत दरबारसँ बहरा गेलाह | गोनुक चेहरा पर संतोषेक भाव रहनि, तs भोनू स्याह भेल जाइत रहथि |

Monday, October 12, 2009

गोनू झांक सिमरियाक मेला


गोनू झा रहथि विनोदी लोक | ककरो छकेबामे हिनका महारत हासिल रहनि | विनोदी - शैलीक आधार लs कs ककरो छकायब बामा हाथक खेल रहनि | ओ खेल एहन जे ककरो तकर बोध नहि होबs देथिन |

गोनू झाकेँ पत्नीकेँ एक बेर इच्छा भेलनि जे सिमरिया जाइ मुदा ताहि लेल पति महोदयसं आज्ञा लेव अत्यावश्यक रहनि | परंच सदिखन चौंचक रहथि गोनू झा | कखनो सरि भs कs गप्प करबाक अवसरे नहि देथिन |

एम्हर सिमरिया जयबाक दिन लगचिआयल जाइत रहैक | गामक बहुत स्त्रिगन अपन मोटा - चोटा बन्हबाक उपक्रम करय लागल रहथि | मुदा गोनू बाबूक पत्नी गोनुक चालिमे फसल रहथि | करथु तs करथु कोन व्योंत | ओ तs एहन समयक फिराकमे रहथि जे हिनक प्रस्तावक अस्वीक्रतिक कोनो बाट गोनू बाबुकेँ नहि भेटनि | प्रस्ताव करियनि आ तुंरत अनुमोदन भs जाय |

ओ से एक दिन ओ समय आबि तुलायल | गोनू बाबू भांगमे निसभेर रहथि | ओहि दिन भोनू माछ से अनने रहथि | गोनू बाबूक पत्नी देयोरकेँ मोन-मोन आर्शीवाद दैत खूब मनोयोगपूर्वक माछक विन्यास कयलनि | मेही चाउरक भात रहनि | पड़ोससं एक छाछ दही पैंच लs अयलनि | नेवो बारियेमे रहनि |

रातिमे जखन गोनू बाबू भोजन करय बैसलाह तs विन्यास गदगद भs गेलाह | पत्नी बड स्नेहपूर्वक खोआवs लगलथिन | गोनू बाबूकेँ भांग मता देने रहिन तेँ आगुक सामग्री देखिल प्रसन्न रहथि | पत्नी सोचलनि जे इएह उचित अवसर अछि | अपन काज एखनहि सुतरि ली, कहलथिन - बहुत गोटे परसू सिमरिया जा रहल छैक | हमहूँ एखन धरि डूब नहि देने छी | इच्छा अछि, भs आबी! |


- तs एहिमे विलम्ब किएक | शुभस्य शीघ्रम | आ तुरत मिरजइसं बहार कs कस किछु टाका थम्हा देलथिन |

एवम् क्रमे यात्राक दिन आयल | गोनू बाबूक पत्नी मोटरी - चोटरी बान्हि अहलगरे विदा भेलीह | गामक आर स्त्रिगन सभ हाक दs रहल छलथिन | ओ काँखतर मोटरी दबने बहरयलीह | ताबत भोनू सेहो जागि गेल रहथिन तथा भाउजक पाछू - पाछू अरिआतबक मुद्रामे विदा भेलथिन |

आँगनक मुहथरिपर जखन अयलीह कि कोनो पुरुषसं धक्का लागि गेलनि | तुरत दू डेग पाछू हटि एहिपर गौर करबाक चेष्टा कयलनि कि फेर पाछूसं सेहो धक्का पड़लनि | उनटिकs तकलनि तs देखलनिs देओर बाबूकेँ मुस्किआइत | फेर पाछू हटलीह की पुनः धक्का | देलखिन, सदय पतिदेव जी छलथिन |

आब ई अवग्रहमे पड़ी गेलीह | आगू बढ़ैत छलीह तs गोनू धक्का मारैत छलथिन | पाछू हटैत छलीह तs भोनू धक्का मारथिन | किछु बजबाक अवसरे नहि भेटि रहल छलनि आ एहिना बड़ी काल धरि गेन जकाँ एम्हरसं ओमहर गुरकैत रहलीह |

थोड़वहि कालमे एहि परिस्थितिसं आजीज भs गेलीह | मोन तीत भs गेलनि | अंतमे खिसियाकs मोटरीकेँ फेकि देलनि आंगनक बीचमे |

गोनू बाबु परिस्थितिके गमलनि आ तुरत भोनूकेँ मना करैत पत्नी दिस बढ़लाह | पत्नीकेँ कहलथिन - घोघ कियक फूलओने छी?

तामसे थरथर करैत पत्नी कहलथिन - बेसी तामस नहि चढ़ाउ, नहि तs की सs की भs जायत | आब तs हम किन्नहु सिमरिया नहि जायब |

गोनू बाबू स्थिर भावें उत्तर देत कहलथिन - यैह तs हम कहs चाहैत रही | मेला - ठेलामे लोक धक्के खाय लेल जाइत अछि ने | आ ताहि लेल तs हम दुनु भाइ छीहे | अनेरे दोसर - दोसर सद्द कियक धक्का खाय जैतहूँ |

गोनू बाबुक पत्नी किछु बजनहि आँगन घुरि गेलीह आ तिरछले मोने सोचलनि जे गोनू ककरहु नहि | फेर, सुनैत छैथ जे बाहरमे चीकरैत स्त्रीगण सभ हिनका सरापैत जा रहल अछि |

Saturday, October 10, 2009

गोनू झाक झोरी


गोनू झा रहथि दरबारी | अपन बुद्धि - विलाससं राजाकेँ प्रसन्न कयने रहैत छलाह आ पुरस्कारस्वरूप बेस धन - अर्जन कs लैत छलाह | आ तेँ हुनका ओतs चोरक खूब उपद्रव रहैत छल |

एक बेर गोनू झा दुनू प्राणी घरमे सुतल छलाह | तखने चोरबा सभ सेन्ह काटि घरमे प्रवेश कयलक | देखलक जे एखन दुनू प्राणी आपसमे गप्प सप्प कs रहल छथि | हुनका दुनूकेँ सुतबाक प्रतीक्षामे ओ सभ कोठीक पाछू नुकाकs बैसि रहल आ दुनू प्राणीक गप्प सप्प सुनs लागल |

गोनूक घरवाली गोनूसं कहलथिन जे आइ - काल्हि चोरक उपद्रव बड़ बढ़ी गेल अछि अहाँकेँ कहियासं कहैत छी जे कमसं कम गहना - गुड़ियाकेँ तं निजगुत ठाम राखि लितहूँ |

गोनू झाकेँ घरमे चोरक आभास लागि गेल छलनि | ओ आस्वस्त होइत पत्नीसं कहलनि - अहाँ ऐ लय निश्चित रहू | हम तकर इन्तजाम कs लेने छी |

- तs एखन धरि हमरा कहलहूँ नहि?

- ' अरे, से कहबाक पलखति कतs भेटैत रहय ततेक ने झंझटि सभमे बाझल रहैत छी जे............'

- तs कोन इन्तजाम कयलिऐ?

- पहिने ई कहू जे अहाँ लग आर की सभ अछि?

- हमरा लग आब आर की रहत छाउर!! जे किछु छल, सभ तs अहीं के दs देलहूँ |

- तs सुनू | हम सभटा गहना - गुड़िया के झोरी सभमे धs कs पछुआड़ महक लताम - गाछ पर लटका देलहूँ अछि |

- तखन तs चोरबा सभ.........

-आयत तs खसत मूँहे भरे | तेहन ठाम ने धs देलिये जे चोर की चोरक बापोक नजरि ओतs नहि जयतै |

दुनू प्राणी गप्प चोरबा सभ बड़ मनोयोगपूर्वक सुनैत छल | मोने - मोन ख़ुशी सेहो भs रहल छल | जखन दुनू प्राणी निसम्बद्ध भs गेलाह ओ सभ एक - दोसरसं संकेतमे गप्प कयलक आ सहें - सहें घरसं बहरा गेल |

बाहर जखन आयल तs गोनू झाक बात सत्य प्रतीत भेलै | लतामक गाछ पर ठाम - ठाम झोरी लटकल देखलक | कि आब देखलक ने ताव, सभ छरपि गेल गाछ पर आ बाप - बाप करैत, गोनूक खानदानकेँ उखिलैत सभ बाहर निकलबाक प्रयास करैत रहल | मुदा लाख प्रययासक बादो गोबरक कुण्डसं नहि बहरा सकल | छलै के तेहन विशाल ढ़ेरी जे......

भिनसरे गोनू लोटा लs कs नदी दिस जयबाक हेतु बहरयलाह तs देखलनि जे चोरबा सभ अधमरु भेल गोबरमे कुहरि रहल अछि आ लतामक गाछ परक सभटा मधुमाछी, बिढ़नी - आ पचहिया ओकर सभक शरीरक विभिन्न अंग पर लुबधल छैक |

गोनू झा चुटकी लैत पुछलथिन - की यौ चोर बाबू सभ | गाछ पर टांगल हमर झोरी सभ कतs निपत्ता कs देलहूँ?

आ उत्तरक बिनु प्रतीक्षा कयने नदी दिस विदा भs गेलाह |

गोनू झाक चमरछोंच


गोनू झा बड़ गूढ़ लोक छलाह | हुनका चीन्हब बड़ दुरूह काज छल | जिनगी पर्यन्त आ सभकेँ छकबिते रहलाह तेँ सम्पूर्णतामे ओ एक धूर्त पंडीजी रहथि से सभ मानैत रहनि आ ताही कारणे सभ हुनकासं साकाक्ष रहैत छल | के जानय, कखन कोन व्याजें कतs छका बैसताह |

एक बेरक गप्प छैक | चैत - बैशाखक मॉस रहैक | सबेरे - सकाळ निन्न टुटि जानि | निन्न टुटै़त देरी हुनका कथुक होश नहि रहनि - निछोहे दौड़थि पोखरि दिस | गोनू बाबू अपन एही आदतिसं तंग रहितो तंग नहि रहैत छलाह | आखिर दैनिक नित्य क्रियाक ई एक आवश्यक अंग थिक से बुझी निश्चित छलाह | एहि लेल ओतेक चिन्ता फिकिर नहि छलनि |

से ओहि दिन गोनू झाकेँ अहलभोरेमे निन्न टुटि गेलनि | ओ चट उठलाह आ अपन आदतिक अनुसार खाटक तरमे हथोरिया देलनि | लोटा निपत्ता छलनि | पत्नी पर क्रोध भेलनि जे लोटा रखनाइ कियक बिसरि गेलीह मुदा तात्कालिक स्थिति क्रोध अनबा योग्य नहि रहनि | निछोहे पड़यलाह पोखरिक भीड़ दिस |

किछु कालक पश्चात होस भेलनि तs छोंच करबाक चिन्ता धयलकनि | मुदा तुंरत मोन प्रफुल्लित भs उठलनि | आगुक पोखरिमे जल हुनक प्रतीक्षा कs रहल छल |


ओना बरहमसिया कब्जियत रहने स्वाभाविकतासं बेसी समय गोनू बाबूकेँ अपन एहि क्रियामे लागितहि छलनि, मुदा आइ बहुत कम्मे समयमे निवृत भs जयबाक तत्काल किछु अर्थ नहि लगलनि |

कने काल एहि त्वंचाहचमे समय बीति गेलनि मुदा एहि कार्य मे आर बेसी समय नष्ट करब उचित नहि बुझलनि |

जखन गोनू झा छोंच करबाक लेल पोखरिक जलमे हाथ देलनि कि नजरि गेलनि अपन चमार पसारी पर जे हिनक ठीक विपरीत वला भीड़ पर नदी फीड़ी छोंच कs रहल छल | गोनू झा एहि पर ध्यान नहि देलनि | छोंच करय लगलाह |

गोनू झा छोंच करैत जाथि आ तरे आँखिये चमराकेँ देखितो जाथि | ओ निर्विकार भावे छोंच कयने जा रहल छल |

गोनू झाकेँ जिद लागि गेलनि हमरा जकाँ ई कि छोंच करत | जांच कs लिअ अपन एहि लूरिक |

ओहि कात चमार भाइ सेहो सोचय जे गोनू की जे हमरेटा छोंच करय अबैय ओहो निर्विकार भावे छोंच करैत रहल |

पल बितल, पहर बितल मुदा दुनू, दुनू दिससं उठबाक नामे नहि लेथि | आब दुनू गोटेक मोनसं जिदक स्थान गौण भsगेल रहनि | गोनू बाबू सोचथि जे हम पहिने उठि जाइत छी तs ई चमरा हल्ला कs देत जे गोनू बाबू हारि गेलाह ओमहर चमरा भाइ के सोचयि जे हम पहिने उठि जाइत छी तs गोनू हल्ला करैत फिरताह जे आइ फलमाकेँ खूब छकाओल |

भोरसं दुपहर भेल | दुपहरसं साँझ भेल | मुदा दुनू छोंच करैत जाथि आ एक दोसरकेँ तरे आँखिये देखितो जाथि | ओहि बाटे हल्ला करैत गामक लोक जाइत - अबैत एहि लीलाकेँ देखथि जे आखिर की बात भs रहल छैक |

तखनहि गोनू झाक एक अपेक्षित ओहि बाटे जाइत छलाह | ओ जखन भोरमे गामसं जजमनिका लेल विदा भेल रहथि तs गोनूकेँ छोंच करैत देखने रहथिन | मुदा एखन साँझमे जखन घुरि रहल रहथि तs हुनका ओहि स्थितिमे देखलथिन | ओतहिसं टोकरा देलथिन - की हओ गोनू, आइ भोरसं कोन साधना मे लागल छह |

गोनू छोंच करितै उत्तर देलथिन - चमरछोंचमे पड़ल छी | देखै नहि छहक ओहि पार चमराकेँ |

ओहि अपेक्षितक नजरि जखन ओहि पार गेलनि तs देखलथिन जे चमरा भाइ अपन छोंचों करैत जाय आ चिकरि - चिकरि घरबाली केँ सेहो सोर करय जे ' भोजन एतै लेने आ छोंचक फेरमे पड़ल छिकी | '

ओ अपेक्षित ओतs सं विदा भेलाह आ बाटे - घाट जे क्यो भेटथिन, सभकेँ एकेटा बात कहलनि जे गोनू चमरछोंचमे पड़ल छथि |

आ गोनू झा हारि अन्तमे प्राण त्याग कs देलनि |

गोनू झाक बाड़ी


एक राति गोनू झा घर मे सुतल छलाह | निसभेर राति मे सहसा निन्न उचटि गेलनि | देखैत छथि जे चोरबा सभ सेन्ह काटि क्रमशः घरमे प्रवेश s रहल अछि |

तत्क्षण किछु नहि फुरलनि s फोंफ कटैत पत्नीकेँ पाँजरमे बिठुआ काटि ललथिन | लोहछैत उठि - पुठिकs बैस रहलीह - एखन धरि अहाँकेँ आदति नहि गेल अछि | आब बयस धयले अछि सभ करबाक?

गोनू झा मुस्काइत रहलाह | पंडिताइन बड़बड़ाइत आँखि मिडैत रहलीह तथा पाँजरकेँ सोहराबैत रहलीह |

वातावरणकेँ ठंढाइत देखि गोनू पत्नीकेँ कहलथिन - एकटा बात मोन पडिआयल छल तेँ कांच निन्न्मे उठा देलाहूँ |

- एहन कोन बात रहै जे एना s चौंका देलाहूँ | पंडिताइनकेँ बिठुआक विसविसी कम नहि भेल छलनि, बजैत रहलीह - इह, लगैए जेना मांसु नोचा गेल होअय |

- अरे, बड़ पुरान बात मोन पड़ी आयल अछि | बाबू जखन मरs लगलाह s बजाकs एकटा बात कहने रहथि |

- से की?

- अरे, पछुआड़ मे जे भांगक बाड़ीक चकला अछि ने |

- हँ - हँ

- कहने रहथि जे बेर - विपत्ति पड़य s हमर गाड़ल धन - बीत कोड़ी - कोड़ी काज चलायब |

- s बाबू अपन जीवनक सभ कमायल सम्पत्ति बाड़ीमे गाड़ीकs s गेल छथि?

- नहूँये बाजू | एखन समय बड़ ख़राब चलि रहल छैक | चोर - छिपाड़ कोंटा - आँगन धैने रहित अछि | सुनि लेलकs सभ गुड़ गोबर s जायत |

गोनू झा सभ गप्प करैत - करैत फोंफ काटय लगलाह | मुदा पंडिताइनकेँ उदवेग लागि गेलनि | लगलीह गोनूकेँ उछन्नर करय | मुदा गोनूक निन्न कियक फुजतनि | s चोट्टे निसभेर s गेलाह |

जखन पसरनक बेर भेलै़क s गोनू झाक निन्न फूजलनि | चोट्टे भांगक चकला दिस विदा s गेलाह | चकलापर आबि देखैत छथि जे चोरबा सभ एक सरमे पुश्त - दर पुश्त सं परती पड़ल भांगक बाड़ीकेँ तमने चलल जा रहलअछि |

गोनू झा कने - काल ठाड़ रहलाह चोरबा सभक भाव - भंगिमाकेँ निहारैत रहलाह | फेर खखसैत चोरबा सभकेँ सम्बोधित करैत बजलाह - ठीकसं तमै जाइ जाह | हम पनपियाइक बंदोबस्त कयने अबैत छियह |

एक बेर सभ चोरबाक मशीन बनल हाथसं कोदारि छुटि गलैक | सभ लंक s s पड़ायल | गोनू झा तामल खेतकेँ निहारैत डाँड़सं तमाकूक डिबिया बहार कयलनि बैसिक चुनबs लगलाह |

Friday, October 09, 2009

गोनू झा आ नौआ


गोनू झा एकबेर बहुत दिनक बाद अपन जजमनिकासं घुरल आबैत छलाह | बाटमे हाट देखि ठमाकि गेलाह | माछक बाजार मे माछक अम्बार देखि मोन पनिया गेलनि | बटुआ टोलनि | भरल छलनि | जजमान कयनहुरहनि बेस बिदाइ | कराचुर एक मासक बिदाइ रहनि बटुआमे | चट अपन पसिन्नक रोहु माछ तौलबाक हेतुमलाहकेँ कहलनि | जीबैत माछ छहछह करैत |

मलाह परिचित रहनि | माछकेँ नीक जकाँ तौलि दमगरसं खोंचरिमे बान्हि थमहा देलकनि | गोनू बाबु ओकरा पाइथम्हा गदगद होइत गाम विदा भेलाह | मोन तिरपित रहनि | आजुक भोजनक कल्पना करैत रहलाह | बेर - बेर जजमानकेँ आशीर्वाद दैत रहथिन | अतेक दिनुका बाद गोनूकेँ घुरल देखि, सेहो माछक संग, पत्नी s बुझू जे नाचि उठलथिन |

कि थोड़वहि कालक बाद देखैत छैथि जे गामक नौआ आबि रहल अछि | लग आबि प्रणाम कयलकनि मुदा ओकरनजरि रहैक खोंचरि पर | नौआ जखनहि प्रणाम कयलकनि कि गोनू बाबू हालचाल पुछलथिन - कहह, गाम घरक हालचाल!

एहिपर मूँह लटका लेलक | गोनू बाबूकेँ किंचित चिन्ता भेलनि | s सकैछ, घरमे एकरा किछु s गेल होइक | आत्मीयताक संग पुछलथिन | नौआ चुप्पे रहल | क्रमशः ओकर मूँह लटकैत जैत रहैक |

कतेक कालक आग्रह - अनुरोधक बाद नौआक बकार खुजलैक जकर निचोर रहैक जे एखनहि थोड़ेक काल पहिने गोनू बाबुक पत्नीक देहांत s गेलनि | चोट्टहि लोक हुनक दाह - संस्कारसं घुरल अछि |

गोनू बाबू गाछसं खासलाह | आब कि होयत | हमरा तं दुनियेँ अन्हारे s गेल | आब ककरा लेल देह | ककरा ला इच्छा - आकांक्षा गोनू बाबू किछु नहि बाजि सकलाह | बड़ी काल धरि ठकमुड़ी लागल रहनि |

अंततः गहवरित कंठे नौआकैँ माछ दैत कहलथिन जे लैह आब तोंही | हम आब कतs ककरा लेल s जायबके खायत एहि छुतकामे |

गोनू बाबू जतबहि प्रसन्नचित रहथि, ततवहि दुखी होइत घर दिस बढ़ैत गेलाह | डेग नहि उठैत रहनि |

मुदा जखन आँगन पहुँचलाह पंडिताइनकेँ देखि तराटक लागि गेलनि | तुंरत बात छनकलनि | जरुर नौआक नंगटेअछि | माछक कारणे हमरा अतेक पैघ अनिशटक गप कहि माछ टानि लेलक |

बात आयल - गेल, ख़तम s गेल | फेर वैह गोनू झा वैह नौआ | नौआ बुझलक गोनू बाबू हँसोर लोक तेँ हँसी कयलियनि | गोनू झा बुझलनि जे नौआ छी | पसारी छी | कोनो बात नहि |

किछु दिनक बाद गोनू बाबूकेँ कुठाममे गूड़ s गेलनि | खाट s लेलनि | ने उठि होनि ने निन्न होनि |

गूड़ जखन पाकि गेलनि s नौआकेँ कहा पठाओलनि जे आबि कनी मुहँ बना देत | नौआ गोनू बाबूकेँ ठकने रहनिमुदा किछु नहि कहलथिन | एखन कष्टमे छथि, s हमर कर्त्तव्य अछि जे यथासाध्य सहयोग करियनि |

गोनू बाबूक घर पहुँचल गोनू दर्दसं बाप - बाप s रहल रहथि | इशारा सं गूड़क स्थान कहलथिन |

नौआ लोहखर खोलि निधुरिकs गूड़क मुहँ बनबs चाहलक | गोनू दर्दसं मर्माहत रहितहु संकेत सं पुनः कहलथिनजे खाटक नीचां बिनु पैसने नहि s सकैत छह |

नौआ खाटक तरमे घुसियायल चित्त s जखनहि लहरनि हाथमे s तैयार भेल कि................. . . . .

नौआ बाप - बाप करैत ओतsसं भागल पोखरिमे जा अरकिs खसल |
|

गोनू झाक बेटा


गोनू झाकेँ बेर - बेर चोरक चक्कर लागल रहैत छलनि | मुदा हुनका तकर डर रंचमात्रो नहि होइत छलनि |

एहिना एक बेर ओ पंडिताइनक संगे घरमे पड़ल - पड़ल सुतबाक उपक्रम कs रहल छलाह | राती निसभेर भs गेलनि तैयो ओ गप्पे कs रहल छलाह |

मुदा चोरबा सभ हुनका सुति रहल रहबाक भ्रममे सेन्ह मारि घरमे प्रवेश कsगेल | घरक भीतर अबैत ओ सभ देखलक जे ई तs जगले छथि | मोन मसोसिकs रहि गेल | जा धरि ई जागल रहताह, चोरि करब संभव नहि बुझि ओ सभ धरनि पर चढि हुनका सुतबाक प्रतिक्षा करs लागल |

गोनू झाकेँ पाहून सभकेँ आबि जयबाक भनक लागि गेल छलनि | ओ एकरा सभसँ मुक्त्त होयबाक व्योंत सोचs लगलाह | किछु नहि फुरलनि तं पंडिताइनकेँ कहलथिन एकटा एकदम चोटगर बात - सुनै छी??

- ऊँ |

- हमरा एकटा पंडित हाथ देखि कहलक अछि जे अहाँकेँ चारिटा बेटा होयत |

- दुर जाउ |

- लाज भs गेल?

- लाज किए होयत | मुदा जेहन अहाँ अपने छी, तेहने अहाँक पंडित अछि |

- से किए? हमरा बेटा नै होयत?

- जाउ, हमरा सूतs दिअ | दुपहर राति भेलै आ अहाँ अखनो धरि अदखोइ - बदखोइमे लागल छी |

मुदा गोनू झा एकसरे बजैत रहलाह, कहलथिन - हम अपन होवsवला चारू बेटाक नामकरणो कs लेलहूँ अछि |

पंडिताइन गोनू झाक बात पर भीतरे - भीतरे प्रसन्नो होइत छलीह | हिनक वाक्य, पर किछु बजलीह तs नहि, मुदा पुछबाक मुद्रामे हुनका दिस नजरि उठौलनि |

- हँ, तs सुनू | गोनू झा पलथा मारिकs बैसैत बजलाह - जेठकाक नाम राखब लूटन, दोसरक भूखन, तेसरक छोटन आ चारिमक चोर |

- मर्र, चोर कतौ नाम भेलैए!

-नइं भेलैए, तेँ ने हम रखबै | आखिर बेटा ककर हेतै ?

- हँ, तs एहन मूहँपुरुख दोसर क्यो छै मिथिलामे |

- तs ताहुमे अहाँकेँ भ्रम बुझाइए |

- जाउ, जे मोन होअय, राखू | किदन कहलकै जे पानीमे मछरी, नओ - नओ कुट्टी कs बखरा | आ ई करोट फेरि लेलनि |

मुदा एखनो गोनू झाक गप्पक मोटरीक सठल नहि छलनि | पंडिताइनकेँ गट्टा पकडैत अपना दिस करैत कहलथिन - पांच बापुत रहब | जखन कोनों प्रयोजन पड़त आ ओ सभ लगमे नहि रहत तs एतेँ सs गद्दह करबै.......... लूटन, भूखन, छोटन, चोर हौssss????

पंडिताइनकेँ एहि असमयक गोनू - लीला पर हँसी लागि गेलनि | मुदा गोनू झा रओ थम्हिये नहि रहल छलाह | लगातार चिकरि - चिकरि बकने जा रहल छलाह |

कि तखने पड़ोसी सभ लट्ठ लs लs कs हुनक घरक मुँहथरि पर पहूँचि गेलनि आ केबाड़ पीटss लगलनि | गोनू चट्ट चौकी परसं फानि केबाड़ लग पहूँचि छिटकिल्ली फोलि देलनि |

समवेत स्वरमे प्रशन छुटल - कतs होsssss?

- हे वैह, धरनि पर हो!, गोनू झा इशारा करैत कहलथिन |

आ बड़ सुभिस्तासं सभ चोर... पकड़ा गेल तथा लट्ठधारी सभक प्रतापे ओकरा सभक नह - नह थुरि देल गेलै|

एतs ई बुझि लेबाक थिक जे लूटन झा, भूखन चौधरी आ छोटन कामति हुनक पड़ोसी सभक नाम रहनि |

गोनू झाक पुरस्कार


मिथिला - दरबार प्रवेश द्वार पर नियुक्त एकटा द्वारपाल अत्यधिक लोभी आ घुसखोर छल | प्रायः दोसरे - तेसरे गोनू झाकेँ किछु - ने - किछु पुरस्कार भेटैत छलनि आ से देखि ओही द्वारपालकेँ करेज फाटय लगैक | ओ सदिखन मनमे यैह योजना बनाबय जे कोनहुना गोनू झा केँ फेरमे देल जाय, जाहिसँ प्राप्त पुरस्कारक किछु अंश ओकरो भेटि जाइक |

गोनू झा मनहि - मन द्वारपालक आशय बुझैत छलाह | एक दिन मगधसं एकटा पंडित शास्त्रार्थ करबाक उद्धेश्यसं दरबारमे अयलाह | मिथिला नरेश घोषित कयलनि जे हमरा दरबारक जे क्यो पंडित एहि मगध पंडितकेँ शास्त्रार्थमे पराजित करताह हुनका मुँहमाँगल पुरस्कार भेटतनि |

दोसरे दिन शास्त्रार्थक समयक निर्णय भs गेल |

शास्त्रार्थक दिन सभ पंडित नियत समय पर आबिकs बैसि गेलाह | मुदा गोनू झाकेँ ओहि दिन दरबारमे आबs मे बिलम्ब भ' गेलनि | पैघ - पैघ डेग बढओने जखन गोनू झा प्रवेश द्वारपार पहुँचलाह तs देखैत छथि जे प्रवेश द्वार बन्द अछि ओ ओतs निशिचन्त भावे द्वारपाल बैसल अछि |

गोनू झा हफसैत द्वारपालसं निहोरा कयलथिन जे आइ हमरा आबs मे बड़ विलम्ब भs गेल | जल्दी प्रवेश द्वार खोलि दैह |

द्वारपाल निशिचन्ततापुर्चक हुनका दिस तकैत बाजल - ' शास्त्रार्थ प्रारम्भ भेला बहुत काल भs गेलैक | एखन अपनेकेँ गेलासं शास्त्रार्थमे बाधा हेतै |

महाराज हमरा पर कुपित हेता | हमरा माफी देल जाय | हम द्वार खोलबासं सर्वथा असमर्थ छी | '

गोनू झाकेँ भाँगठ नहि रहि गेलनि जे द्वारपाल की चाहैत अछि | ओ मनहि - मन किछु सोचि़कs द्वारपालक खुशामद करैत बजलाह - ' आइ दरबारसं जे किछु पुरस्कार भेटत ओ सभटा अहीं केँ दs देब | आबो तs द्वार खोलि दिअ | "

आन्हर चाहय दुनु आँखि | द्वारपाल तुरत द्वार खौलैत बाजल - ' आन क्यो रहितैक तs हम किन्नहु द्वार नहि खोलितहूँ मुदा अहाँक - गप्प तs भिन्न अछि | हे, तs मोन राखब | "

शास्त्रार्थमे गोनू झा ओहि मगध पंडितकेँ पानि पियाकs छोड़ी देलथिन | मिथिला नरेश प्रसन्न भs कोषपालकेँ आदेश देलथिन जे गोनू झाकेँ एक सहस्त्र स्वर्ण - मुद्रा पुरस्कार स्वरुप देल जाय |

एहि पर गोनू झा उदास होयबाक नाटक करैत कहलथिन - " महाराज, काल्हि अपने घोषित कयने रहिऐक जे मगध - पंडितकेँ पराजित कइनिहारक मुँह माँगल पुरस्कार भेटतैक मुदा आइ दोसरे गप्प सुनि रहल छी | "

मिथिला नरेश मुस्की दैत उत्तर देलथिन ' बेस, बुझि गेलौं | कोषपाल, हिनका दू सहस्त्र स्वर्ण - मुद्रा देल जाय | '

गोनू झा अविचलित होइत बजलाह - " सरकार, हमरा मुँहमाँगल पुरस्कार भेटबाक चाही | "

मिथिला नरेश - " बेस | मांगू अहाँ की माँगैत छी? | "

गोनू झा बजलाह - ' महाराज, जाँ अपने हमरा पर प्रसन्न छी तs आजुक पुरस्कार मे हमरा बीस सोंटाक पीटाइ चाही | "


गोनू झाक विचित्र मांग सुनिकs सभ व्यक्ति विस्मित भs गेल | नरेशक बारम्बार आग्रह कयलोक उपरांत जखन गोनू झा अपन मांग पर डटल रहलाह तs हारि कs नरेश दण्डधारीकेँ बजओलनि आ ओकरा आदेश देलथिन जे गोनू झाकेँ बीस सोंटा मारल जाय |

दण्डधारी जखन हाथ सोंटा लs गोनू झा दिस बढ़ल कि गोनू झा अपन हाथ उठबैत महाराजकैँ सम्बोधन कयलनि - " सरकार, हम द्वारपालक संग वचनबद्ध छी जे आजुक पुरस्कार हम ओकरे देबैक, आ तेँ ई पुरस्कार ओकरे देल जाय जं हमरा कथनमे किछु संशय लगैत होअत तं द्वारपालसं पुछिये लेल जाय | द्वारपालसं जखन तं पूछल ओ गोनू झाक गपकेँ सहर्ष स्वीकार कयलक |

फेर की छल | दण्डधारी गनि कs बीस सोंटा द्वारपालकेँ लगओलक |

ओहि दिनसं द्वारपालक नानी ने मरिहनु जे फेर गोनुसं अराड़ी मोल लेबाक साहस करथि |

Thursday, October 08, 2009

गोनू झाक बिलाड़ी


राजाकें एक बेर इच्छा भेलनि अत्यंत चतुर दरबारीक | एहि दृष्टिसं ओ दरबारी सभक एकटा बैसार आयोजित कयलनि | बैसारमे ओ कहलनि जे हमरा एकटा अत्यंत चतुर दरबारीक प्रयोजन अछि | ओकरा हम विचारकक रूपमे नियुक्त करs चाहैत छी, संगहि एहि विधायमे पारंगत व्यक्तिकें किछु बहुमूल्य उपहार देबs चाहैत छी |

हुनक एहि विचारकें सुनि सभ दरबारी अपन - अपन बुद्धि - चातुर्यक परिचय - देबs लगलाह | मुदा राजा कोनहु दरबारीक चातुर्यसं संतुष्ट नहि भs सकलाह | परिणामस्वरुप राजा बुद्धिक परीक्षाक लेल एक टा व्योंत निकाललनि आ कहलनि - ' हम प्रत्येक दरबारीकें एक - एकटाकs महींस आ एक - एकटाकs बिलाड़ी देबs जा रहल छी | सभ गोटे महींसक खूब सेवा करब आ ओकर दूध बिलाड़ीकें पिआयब | एक वर्षक बाद जिनकर बिलाड़ी स्वस्थ आ तन्दुरुस्त रहत हुनकहि हम अपन सलाहकार नियुक्त करब | '

सभ गोटे अपन - अपन जीव - जन्तु लs कs प्रस्थान करैत गेलाह आ जीजान अरोपि महींस आ बिलाड़ीक सेवा करs लगलाह |
गोनू झा सेहो किछु दिन महींसक सेवा कयलनि तथा ओकर दूध बिलाड़ीकें पिअओलनि | मुदा एक दिन हुनकर मोन मे भेलनि जे हमरा सं बूड़ी के अछि जे खून - पसीना एक कs महींसकें पोसत आ ओकर दूध बिलाड़ीकें पिआओत! ओ एहि बात पर मंथन कयलनि का ओनो निजगुत व्याज बहार करबा लेल अपसियांत रहय लगलाह |

एही क्रममे एक दिन भिनसरू पहर महींस दुहलनि आ ओकरा बिलाड़ीकें देबाक बदला बथान तयान सं सोझे घर लs गेलाह | पत्नीकें कहलथिन जे एकरा नीक जकाँ औंटू |

एम्हर बिलाड़ी गोनू झाक पाछू 'म्याउ - म्याउ ' करैत चिनमार घारि ठेकि गेल | गोनू दया आबि गेलनि | तुरत एकटा बट्टा म एक ओरिका गर्म दूध ढ़ारिलनि आ ओकरा बिलाड़ी दिस बढ़ा देलनि | बिलाड़ी आंखि मूनि ओहि दूध पर टूटि पड़ल | चोट्टे निछोहे ओताsसं पड़ायल | ओकर पूरा मुँह पाकि गेल छलैक |


एकर पशचात एहन स्थिति भेल जे दूधकें देखिते हुनकर बिलाड़ी एक लग्गी फटकी जा ठाड़ रहय लागल | जेना ओकरा दूध दिससं एक तरहे चीते उचटी गेलैक |

एम्हर साल पुरल चलल गेल | गोनू झाक बिलाड़ी एकदम्मसं कांट - कांट भs गेलनि |

ठीक समय पर सभ दरबारी राजाक सोझा हाजिर होइ़त गेलाह | राजा सभक बिलाड़ीक निरीक्षण कयलनि तथा ओकर स्वास्थ्य देखि प्रसन्न होइत गेलाह | मुदा सनटिटही भेल गोनू झाक बिलाड़ी देखि हुनका बड अजगुत भेलनि |

एहि प्रसंग पर जखन गोनू झा सं प्रशन कयलनि तं ओ अपन सिथ्ती स्पष्ट करैत कहलथिन जे सरकार ई एहन अलच्छ अछि जे दूध देखि एक लग्गी पाछू पड़ा जाइत अछि |

राजाकें गोनू झाक बात पर सहसा बिश्वास नहि भेलनि | ओ एकर परीक्षा करब आवश्यक बुझलनि तथा तुंरत एतद् सम्बन्धी आदेश निर्गत कयलनि |

एम्हर अन्य दरबारी सभ प्रसन्न | भने गोनू झा फसलाह | दूध अओतैक आ ओकरा बिलाड़ी पीबे करतैक तथा गोनू झा सोझे - सोझे फाँसी पर चढ़ी जयताह |

मुदा परिणाम वैह भेल जकर बखान गोनू झा कयने रहथि | दूध देखैत देरी बिलाड़ी ओतsसं निछोहे पड़ायल |

राजा गोनू झाक बुधियारी पर छुब्ध रहि गेलाह हुनकर बुधियारीक मर्म बुझैत हुनका अपन विचारक नियुक्त कs लेलनि तथा अन्य दरबारीकें मुर्ख बुझि दरबार सं बहार कs देलनि |

Wednesday, October 07, 2009

गोनू झा भोज कयलनि


जखन गोनू झा बृद्ध पिताक देहावसान भs गेलनि तs गौंआँ लोकनिकें प्रसन्नता भेलनि जे एकटा दमगर भोज पारि लागत | सरझप्पीक बाद गौंआँ सभ गोनू झाक दलान पर जुमैत गेलाह आ हुनक पिताक महानताक बखान करैत वृषोरत्सर्ग श्राद्धक संग असिद्ध भोज करबाक सुझाब देबs लगलथिन | बेर बेर - असिद्ध भोजक आग्रह करैत देखि गोनू झा कहलथिन जे ओना तs हमरा टका - पैसाक अभाव अछि, मुदा हम प्रयास करब आ अहाँ लोकनिक इच्छाक पूर्ति करबाक चेष्टा करब |

मुदा गौंआँ सभ एके ठाम कहि देलथिन जे पाइ बिना ककरो श्राद्ध कतहु पड़ल रहलैक अछि | सर - समाज आखिर कोन दिन लेल रहैत छैक | अहाँ मात्र ' हँ ' कहि दियौक | सभ वस्तुक प्रबंध भs जैयतक |

गोनू झा देखलनि जे इ सभ नहि मानत | मधुरक भोज गछबाइये कs छोड़त आ ताहि लेल टाका पैसाक प्रबंध सेहो कs देत | मुदा जखन मधुरक भोज करहिये पड़त तं कर्ज कियक लेब |

गोनू झा बजलाह - ' ठीक छैक | अपने सभक इच्छाक पूर्ति होयत | हम टाका पैसाक जोगार स्वयं कs लेब आ अहाँ सभक मूँह मिट्ठो करा देब | "

सभ तृप्त होइत अपन - अपन घर जाइत गेलाह | क्रमशः श्राद्धक समय लगचियाल गेल आ गौंआँ सभ अपन - अपन पेट सोन्हाबs लगैत गेलाह |

श्राद्धक दिन जखन नोंत देब आरम्भ भेल तs लोकक प्रसन्नताक मन अपना - अपना ढंगे खयबा आ लयबाक योजना बनबय लागल |

संध्या काल जखन बिझहो भेल तs केओ छिपली - लोटा, तs केओ पितरिया बरगुन्ना, तs केओ कसकुटक बट्टा लs कs गोनू झाक घर दिस विदा होइत गेलाह किछु खन्हन किछु मोटरी बन्हनक मन्सूबा पोसने सभ हुनक दलान पर गज - गज करय लागल |


चटपट बीड़ी बैसाओल गेल | करमान लागल लोक अपन उचित स्थान ताकि - ताकि बैसैत गेलाह | पुरैनिक पात परसनाइ आरम्भ भेल | जिनका जेना इच्छा भेलनि, पात लs कs ओकरा सजोलनि तथा जल - सिक्त करैत गेलाह | कने कालक लेल शांति पसरल रहल | फेर दू तीन बलिषट बारिक छिट्टा कन्हापर रखने आँगन सं बहरायल | छिट्टा देखैत देरी, सभक जीहसं पानी उधिआय लगलनि मुदा............

मुदा पात पर मधुरक बदलामे जखन कुसियारक छोट - छोट टोनी सभ खसय लागल तs निमन्त्रित ब्राह्मन हहा - हहाकs निचा खसय लगलाह - ई गोनूआँ सभकेँ बुरि बनाकs चली गेलौं |

तखने गोनू झा अपन बटलोही सन पेट पर हाथ फेरैत आँगनसं बहरयालह - " हँ, तs आब नैवेध देल जाय " | पुनः कsल जोडत आगू बजलाह - ' आइ स्वर्ग में हमर पिता कतेक प्रसन्न होइ़त हेताह, जे एतेक रास ब्रह्मण देवता हुनका नाम पर बैसल भोजन कs रहल छथि | '

गामक मुखियाकें नहि रहल भेलनि, बजलाह - " की हओ गोनू, एकोरत्ती तोरा लाज नहि होइछs जे दलान पर बैसा हमरा सभकेँ बुरि बना रहल छs |

गोनू गम्भीर मुद्रामे प्रत्युत्तर कयलथिन - " हम के होइत छी अपने सभकेँ बुरि बनौ़निहार | अहाँ लोकनि तs जनै छी जे सब मिठाइयेक जड़ी होइत अछि कुसियार | तें तरह - तरह मिठाइक फेरीसं हम बुझल जे किएकने तकर मुले अपन लोकनिक समक्ष राखल जाय | होइयौ, आब अधिक विलम्ब नहि करियौ |

ब्रह्मण देवता लोकनि कें जखन अपन गलतीक भान भेलनि तs बकार नहि फुटलनि | अन्ततोगत्वा टोनिकें चिबबैत मोनहि - मों गोनूक श्राद्धक संग संग अपन - अपन पेटोक श्राद्ध करs लगलाह |

Monday, October 05, 2009

गोनू झाक बंगौर


एक बेर गोनू झा बांगक खेती नीक जकाँ कयने रहथि | उपजा सेहो नीक भेलनि | ओकरा बेचि नीक पाइ सेहो अर्जित कयलनि | मुदा हुनका चिन्ता छलनि जे बांग तं बिका गेल मुदा बंगौरकें क्यो पुछनिहार नहि | ओ एही व्यथें मुइल जाइत छलाह जे हाटमे एकरा पुछनिहार नहि | ओ एही व्यथें मुइल जाइत छलाह जे हाटमे एकरा पुछनिहार केओ कियक नहि अछि |

एही क्रममे एक दिन रातिकs बहुत बिलम्ब सं ओ घर घुरलाह तs आभास भेलनि जे चोर आँगनक कोंटा सभ पकड़ने अछि | पहिने गोनुके अपन घरमे राखल बांगक रुपैयाक चिन्ता भेलनि - भs सकैछ, होने हो चोरबा सभ एही रुपैयाक गंध पाबि एम्हर टघरल अछि | मुदा तुरत हुनका दिमाग मे किछु कंपन भेलनि | आ निसभेर सुतलि अपन पत्निकें जगबगैत डाँटब आरम्भ कs देलनि जे अहाँ सभ दिन एके रंगक रहि गेलहूँ | देखू तs एतेक दामी बंगैरकें अहाँ आंगनमे छोड़ने छी -

' ओकरो कोनो मोल छै? हम तs ओकरा गिद्दरकें खयबाक लेल छोड़ने छी | "

" राम - राम ई की कहैत छी! अहाँकें बुझल अछि जे हम एकटा वैध-सम्मलेनसं आबि रहल छी! ओतुक्का वैध लोकनि कहलथिन अछि जे बंगैरसं कुष्ट रोग छुटैत छैक | तुरत एकर भाव सय टके सेर भs रहल अछि |

एहिना बड़ीकाल धरि दुनु गोटमे वाकयुद्ध चलैत रहलनि | गोनू झा एहि युद्घ द्वारा बातकें नीक जकाँ फड़ीच्छ कs देलनि जे बंगौर सन दामी बस्तुकें आँगनमे छोड़ीकs हुनक पत्नी बड़ पैघ गलती कयलनि अछि आ तकर निदान तखनहि संभव जे शुभकs ई राति कहुना बीति जाय |

थोड़क कालक बाद गोनू झाकें निन्न आबि गेलनि | ओ फोंप काटs लगलाह | पत्नियों सुति रहलथिन | आ तखने नुकायल चोर सभ बंगौर लs कs पार भs जाइत गेल |

भिनसरे गोनू झाकें उक्त् चोरीक पता चललनि तं बजलाह - कोनो बात नहि | लs जाय दिऔक | बंगौर ने लs गेल हमर भाग्य थोड़े लs गेल अछि |

सत्तक होयत तं बंगौर सुदि समेत घुरि आओत |

हुनक पत्नी अपराध - बोधसं लदल अपन काजमे लागि गेलीह | हुनका एहि चोरिक बड़ दुःख रहिन, मुदा आब तs तकर कोनहु उपाय नहि रहिन |

गोनू झा बेरुपहर जखन हाट पहुँचलाह तs देखैत छथि जे चोरबा सभ बंगौरक बोरा सभ गेटने ओतs उपस्थित अछि | संगमे चाउरक बोरा सभ सेहो राखल छैक | ओ ओहि दोकान लग अयलाह | चाउर दनादन बिकयाल जा रहल छल मुदा बंगौरक केओ पुछनिहार नहि | गोनू झा गन्हिकि नजरिसं बंगौराकें देखलथिन आ ओकर दाम पुछलथिन |

चोरबामेसं एक गोटे बाजल - सय टके सेर छै वैध जी!

- अरे रतुका भाव छोड़ह, दिनुका भाव कहह | गोनू झा अपन कुटिल हंसीकें दबबैत कहलथिन | एतवा कहबाक छलैक की चोरवा सभक माथा ठनकल | अरे, ई तs वैयह छथि जिनका ओतs रातिमे चोरि कयल अछि | ओ सभ, किछुकें छोड़ी-छाडी अपन अपन जान लs कs पड़ायल |

गोनू झा सभसँ पहिने ओकर बगुलिकें अपन अधीन कयलनि आ गाड़ी बरद कसबाय, तोहि पर बंगौरक संग बांचल चाउरक पट्टा सभ लदबाय ओकरा अपन घर दिस विदा कयलनि | बाटमे भेटलनि एकटा मलाह, जे हाट आबैत छल | तुरत ओकर सभ माछ कीनी, पाइ चुकता कs पंडिताइनक स्मरण करैत निछोहे घरमुहाँ भs गेलाह |

गोनू झाक ढाकी


कमला नदीक कछेड़मे पड़ैत रहनि गोनू झाक खेत | एक बेर कमलामे भीषण बाढ़ीआयल | सभक फसिल जलमगन भेल जा रहल छल | गोनू झाक सेहो जजाति कमला महारानीक गर्भमे जा रहल छलनि | ओ एक दिन नदीक कातमे गेलाह आ कsल जोडि प्रार्थना कयलनि जे जं एहि बाढ़ीसं हमार फसिल धान बचि गेल तं हे कमलेश्वरी, अहाँकें एक हजार जीवक बलि चढायब |

कमला मैया हुनकर विनती सुनलथिन | हुनकर डूबल सम्पूर्ण जजातिक पानि सुखा गेलनि | बाढ़ीक पानिसं पटल खेत सभक धान लह - लह कs उठल | गोनू झा आनन्द विभोर होइत गेलाह आ एहना स्थितिमे अपन देल वचनकें बिसरी गेलाह |

धनकटनी आरम्भ भेल आ देखैत - देखैत धानसं हुनकर खरिहान उजगूज करय लागल | आब दाउन आरम्भ होयत तथा धान घर जायत कि एक दिन गोनू झाक पत्नी हुनका कमला मैयाकें देल वचन स्मरण दियौलथिन | गोनू झा कें एकाएक भक्क फुजलनि आ अपन गलतीक भान भेलनि | ओ चिंतासं छट - पट करय लगलाह | आब कि कयल जाय? एही छटपटीमे भोरसं साँझ भेल | साँझसं राति भेल आ ताही चिन्तामे गोनू झाकें निन्न भs गेलनि | सहसा निसभेर रातिमे हुनकर निन्न फुजलनि | देखैत छथि जे असंख्य उड़ीस हुनकर सोणीत - पान कs रहल अछि | थोड़क काल तं ओ अथ उथमे रहलाह मुदा चोट्टे एकटा विचारक जन्म भेलनि | तुरत एकटा डिब्बा अनलनि आ गनि - गनि कs निशचित भs गेलाह |

निसभेर होइते ओही डिब्बा संग नदीक कातमे उपस्थित | ओ कमला मैयाकें अपन वचनक स्मरण करबैत डिब्बाकें जलमे प्रवाहित कयल | डिब्बा थोड़ेक काल पनि पर दहाइत रहल फेर डूबि गेलाह | गोनू झा प्रसन्न भs गेलाह जे कमला माइ हमर चढौआ स्वीकार कs विदा भs गेलाह |

रातिमे जखन गोनू सुतल छलाह तं कमला मैया स्वप्न देलथिन - " तो हमरा धोखा देलह अछि ! जीवक बदला उड़ीस मारि हमरा बुरबक बनओलह अछि | जाह, हमहूँ श्राप दैत छियह जे तोरा एक ढाकीसं फाजिल अन्न नहीं होयतह | " आ कहैत अद्रश्य भs गेलीह |

भीनसर भेल! गोनू झा अपन खरियान दिस अयलाह | तुरन्त जsन अढओलनि आ हजार मोन अँटबा योग्य एकटा तरहरा खुनओलनि तथा ओकर पेनी कतरि ओही सोन्हि जकाँ पर बैस देलनि |

एम्हर दाउन शुरू भेल | धान तैयार होइत गैल | जsन सभ ओही ढाकीमे धान ढारैत जाय, धान बिलायल जाइक | भोरसं साँझ रातिमे बदलल गेल | मुदा ढाकी खालीक खालिये रहि गेल |

गोनू झा खरिहानमे पड़ल - पड़ल एक निन्न घिचबाक व्योंत धरोअलनि |

आँखी झलफलाय लगलनि | निन्न भs गेलनि कि ताखनहि कमला मैया स्वप्न देलथिन - " गोनू सरिपहूँ तों माहिर बुधियार छह | हमरहु ठकि लेलह | जाह हमर आर्शीवाद छह जे तोरा कियो पराजित नहि करतह | "

गोनू झा दांत खिसोटै़त कमला मैयाकें प्रणाम कयलनि आ लघुशंका निवारणार्थ उठि विदा भs गेलाह |

गोनू झा आ सेठजी


एक समय गोनू झा गरीबीक दिन काटि रहल छलाह | एकटा सेठसं ओ सय टाका कर्ज लेलनि | ओकर सुदि बढ़ैत गेल, जे हजार धरि ठेकि गेल |

एक दिन सेठजीकें पता लगलनि जे गोनू झाक पुत्र विवाह भs रहल छानि | ओ सोचलनि जे ऐन मौका पर ओतs पहुँचल जाय | अपन इज्जति बचयबाक लेल ओ कर्ज अवश्य दs देताह |

गोनू झा पाहून परकक सेवा - सत्कारमे लागल छलाह | सेठजीकें देखि़ते हुनकर प्राण सुखा गेलनि | मुदा अपन बुधिसं काज लेलनि | ओ खूब आदर सत्कारसं हुनका बैसोलनि तथा काफी विन्यासपुर्वक भोजन करओलनि | सेठजी हुनकर एहि व्यवहारसं अति प्रसन्न भेलाह | गोनू झा हुनका भोजनोपरान्त एकांतमें लs जाकs अनुनय कयलनि -सेठ जी, हमरा पूस मास धरिक समय दिअ | हम ओहि मासक पूर्णिमाके सुदि समेत अपनेक मुरि सधा देब |

गोनू झाक आवभगतसं प्रसन्न सेठजी हुनकर बात मानि गेलाह |

धीरे धीरे कातिक बीतल | आगहन सेहो समाप्त भेल | पुसक पूर्णिमा सेहो लगचिया गेल | ठीक पूर्णिमाकें सेठजी गोनू झाक दलान पर छलाह |

मुदा गोनू झा तs पूर्वहिसं तैयार छलाह | सेठजीक अयबाक खबरि लागिते ओ एकटा रस्सी लेने आगनसं बहरयलाह आ लगक गाछ पर चढ़ी गेलाह | रस्सीक एक छोर गाछमे बान्हि दोसरसं अपन गर्दनमे ससरफानी लगा लेलनि |

इ सभ देखि सेठजी विचलित भs उठलाह - ई की करै छी गोनू बाबू?

- " सेठ जी " अहाँ हमर जीवनकें नर्क बनाकs राखि देलहूँ अछि | " गोनू झा बजलाह - - ' हमर इज्जति धरि माटिमे मिला देलहूँ | एहन जिनगीसं मृत्यु नीक | आइ हम अपन जीवनकें अन्त कs लेब | आब आहांकें ब्रह्महत्या लागत आ हमरा सदाक लेल कर्जसं मुक्ति भेटी जायत | "

गोनू झाकें बुझबयाक उधेश्यसं सेठजी हुनका कहलथिन जे एहि लेल ई बात नीक नहि | अहाँ नीचा उतरि आउ आ एखन जतवे होइए, ततवे दs दिअ |

मुदा गोनू झा अपन जिद पर अड़ल छलाह - ' आब तs अहाँकें ब्रह्महत्याक पाप लगबे करत ओ ताहि कारण राजा अहाँकें फाँसी पर लटका देताह | "

- " अहाँ उतरि जाउ गोनू बाबू, हम अहाँक आधा सुदि माफ़ कs देब | अहाँ पूरा सुदि माफ कs देब, हम तैयो नहि उतरब | "

सेठ जी कल जोड़ी लेलनि | मुदा गोनू ताहू पर नहि घमलथिन | आ अपन गरदनिमे बान्हल रस्सिकें कमय लगलाह |

सेठ जी घबड़ा गेलाह - " अहाँके हम पुरोसं कम कs देब | जतबे होअय ततवे दिअ | मुदा गाछ्परसं उतरि जाउ | हमरा संकटमे नहि दिअ | "

मुदा गोनू झा अपन गरदनि़क रस्सी कसिते जा रहल छलाह - ' सुनै जाइ जाउ ओ गौआँ सभ, ऐ सेठसं आजिज भs हम आत्महत्या कs रहल छी | अहाँ सभ कने राजाकेँ ई खबरि पहुँचा दिअनु | "

हुनकर एहि क्रियापर गामक लोक सभ जमा होबs लागल | सेठ जी अनुनय करैत बजलाह - " गोनू बाबू अहाँ गाछपरसं उतरि जाउ | हम मूरमे सं सेहो आधा माफ कs देब | अहाँ मात्र पचास टाका दs दिअ | "

- " हमरा लग तs एकटा दोकड़ा नहि अछि | "

" नहि अछि तs कोनो बात नहि | अहाँकें हम एक मासक समय आओर छी |

- " सुनी लै जाउ ओ गौआँ सभ! ई हमरा एक मास धरि तंग नहि करताह |

" गोनू बाबू हम एक माससं पूर्व अहाँ ओतय टपबो नहि करब | "

- "अच्छा तs हम उतरि जाइ छी |


एक मासक बाद ठीक ओही दिन गोनू झा आंगनमे एकटा यगकुंड बनओलनि | कुंडक आगू कागजक पुतरा रखलनि आ ओकर भीतर आगि | आ ओकर भीतर आगि | आ ओकर ऊपरमे एकटा बासनमे कडू तेल बड़कs लेल राखि देलनि | पलथी मारि कातमे एकटा कमंडल राखि भजन गाबय लगलाह | तखने सेठ जी पहुँचलाह | हुनका पूजा करैत देखि चुपचाप बैसी रहलाह | किछु काल धरि तs गोनू झाक ध्यान टूटबाक प्रतीक्षा कयलनि | भोरसं सांझ भs गेल मुदा हुनकर ध्यान नहि टूटल | अंतमे ओ हुनक देहकें झिकझोरि देलथिन |

गोनू झाक ध्यान भंग होइते ओ क्रोधसं लाल भs उठलाह - " सेठजी तों हमरा ध्यान भंग कs भगवानके कुपित कयलह अछि | तोहर सर्वनाश निकट छह | ठहरह, पहिने ऐ पुतराकें भस्म कs अपन मंत्रक जाँच कs ली, तखन तोहरी भस्म करैत छी | "

ई कहैत गोनू झा कमंडल उठओलनि | ओहिमेसं एक चुरुक जल बहर कयलनि | तत्पशचात क्रोधक संग ओहि कागजक पुतरा पर जलक छीटा मारलनि | छीटा कड़कैत तेलमे पड़ल आ आगि तुरत दहकि उठल | पल भरिमे कागजक पुतरा जरि कs छाउर भs गेल |

गोनू झा जखन सेठ जी दिस घुसलाह आ कहलथिन - " देखि लेलह हमर सिद्धि! आब हम तोरा भस्म करैत छी |

सेठ जी ओतयसं पड़यलाह | फेर कहियो खोज करs नहि अयलाह |

Thursday, October 01, 2009

गोनू झाक भैयारी बंटबारा


गोनू झा पर गामक लोक बड़ कन्हुआयल रहैत छलाह | हुनकर उन्नतिसं लोककेँ ईर्ष्या होइत छलनि | हुनका लोकनिक सम्मिलित प्रयाससं गोनू आ भोनू दुनु भाइमे झगड़ा भs गेल | मुदा एकटा महींस आ कम्मल बचि गेल जे बँटा नहि सकल |

एहि पंचैतीसं गोनू बड़ दुखित रहैत छलाह | महींसकें दिन भर खुअबैत - पोसैत छलाहआ दुध दुहैत छलाह भोनू | जाड़क मास रहबाक कारणे दिन भरि तs कम्मल गोनुकें रहैत छलनि, मुदा राति कs ओ भोनुक भs जाइत छलनि |

गोनुकें हरलनि ने फुरलनि, किछु दिनक बादसं दिन भरि तs कम्मलकें ओछान बना ओछबs लगलाह मुदा साँझ होइतहि भिजा देथि | तहिना महींसक जखन दुहबाक समय होइक, ओ ओकरा छौंकी लs कs छौंकिआबs लागैत छलाह |

भोनुकें लेनीक देनी पड़ी गेलनि | जखनहि ओ दुध दुहs लेल बैसथि कि गोनू छौंकी लs कs तैयार | तहिना रातिकs भीजल रहने कम्मलक उपयोग नहि कs पबैत छलाह |

तमसायल भोनू पुनः पंचैती बैसओलनि | गोनू कते कहलथिन जे पंचक चक्कर मे नहि पड़ह, नहि तs बिलटि जयबह | मुदा ओ माननिहार नहि | पंच सभ बैसलाह, मुदा गोनुक तर्कक सोझाँ सबहक मूहँ फक्क रही गेलनि | कारन पंचैतीक अनुसार ओ अपन समानकें कोना कोन रूपें उपयोग करताह तकर हिदायत तs नहि देल गेल रहैक |


अन्तमे पंच सभ अपन मूहँ लेने बिदा भेलाह तथा गोनू भोनूकें पंच सभ चालिक मादे बुझा तथा ओकरा पटिया अपना दिस कs लेलनि | ओ दुनु पुनः संगे रहs लगलाह |

एक दिन गमक मुखिया राज दरबारमे पहुँचलाह तथा महींसक प्रशंसा करैत गोनुक राजाक प्रतिये घृणा - भावक बखान करय लगलाह | राजाक तुंरत फरमान बहरायल | चारि सिपाही गोनू झाक गाम दौड़ल | मुदा गोनू झा महींस देवासं साफ़ मुकरि गेलाह | सिपाही मुँह बिधुअओने घुरल | राजाकें पता लागिते आगि लेसि देलकनि | आ तुरत दोसर सिपाही आदेश देलनि जे एखनि दुटा कसाइकें पठा ओकर महींसकें बाधेमे मारि देल जाय |

एहि आदेशक जखन गोनू झाकें भनक भेटलनि तs सोझे दरबारमे पहुँचलाह - सरकार महींस हमर बड़ हडाहि अछि | एकरा मर बाबाइये देल जाय मुदा एकटा निवेदन जे ओकर खाल हमरा भेटबाक चाही |

राजा द्वारा प्रशन कयला पर गोनू झा कहलथिन जे हम ओकर खालसंएक नहि हजार बना लेब | राजा गोनुक बुरबकइकें सहर्ष स्वीकार लेलनि |

महींस मारल गेल | गोनू खाल लेने बाध-बोनमे बौआइत रहलाह |

अन्तमे एकटा गाछ पर जा बैसि रहलाह | दिन रातिमे परिवर्तित भेल | निसभेर रातिमे दू टा चोर चोरी कs कs घुरल अबैत छल | ओ सभ ओहि गाछ तर अपन समानक बंटबारा करs लेल बैसल | एक टा चोरकें कने कम सुझैत छलैक | तं ओ कहलक जे भाइ, ठीक सं बाँट - बखरा करिहs, नहि तs बज्र खसतौक |


गोनू झा सभ टा गप्प सुनैत छलाह | एन मौकपर ओहि खालकें चोरबा सभपर फेकलनि | ओ सभ तकरा वास्तवमे बज्र बुझि सब किछु छोड़ी-छाड़ी भागल | गोनू चैनसं नीचा उतरलाह आ सभ वस्तुजात लs घर विदा भs गेलाह |

रातुक घटनाक कानोकान खबरि पूरा गाममे पसरि गेल | किछु माउग एकर रहस्य पता लगाबs लेल हुनकर कोंटा धयलक | गोनू झा पत्नीसं झगड़ाक नाटक रचा एहन - एहन बात सभ बजलाह जे दोसरे दिन गमक सभ महींस कसाइयक ठेहापर चढ़ी गेल आ धन - सम्पत्तिक प्रतीक्षा गामक लोक जंगलमे भगवानक प्रतीक्षा करैत रहलाह | कियक तs गोनू झाक अनुसार भगवानहि द्वारा हुनका अतेक धन - सम्पत्ति प्राप्त भेल छलनि |

मुदा कतहु किछु नहि भेटलनि | सभ मुँह विधुऔने अपना घर घुरs लगलाह तथा गोनुकें देखि नुकाय चाहलनि |

गोनू झा एक बेर मुइलाह......


एक समय गोनू झा मिथिलाक राजा ओहिठाम चाकरी करैत छलाह | एक दिन राजा अपन पिताक श्राद्ध कs दरबार पहुँचलाह तs गोनू झा पुछलथिन जे एहि करतेबतामे कतबा खर्च पड़ल | राजा कहलथिन जे लगभग दस हजार |

एहिपर गोनू झा कहलथिन - ' कृपानिधान! हम वृद्ध भs चुकल छी तें अपनेक आज्ञा हो तs किछु निवेदन करी? "

- " कहल जाय | "

- " हमार प्राथना अछि जे जं हमर कोनो कारणसं मृत्यु भs जाय तs श्राद्धक लेल हमरा पुत्र के हजार - पाँच सय रुपैयाक सहयोग करीऐक | "

- " हजार - पाँच सय टकासं की होयत | हम अहाँक | श्राद्धक हेतु दस हजार टाका देब | "

- " कृपानिधान, कहैत तं छी मुदा मुइलाक बाद ककरा के देखै | अपने यदि देबौ चाहबै तs मंत्री आ खजांची अड़ंगा लगा देताह | "

- ककर साहस छैक जे हमर आदेशक उल्लंघन करत | "

- " भs सकैए मन्त्री आ खजांची नै बाजथि मुदा स्त्री आ पुत्र पर तs अपनेक एको नहि चलत | "

-" गोनू बाबु, अहाँ चिन्ता नहि करू | हम अपने हाथसँ अहाँक श्राद्ध करायब | "

- " ठीक छै, हम देखि लेब | "

- " अहाँ मरि कs कोना देखबैक |

- " प्रेत बनी कs

गोनू झाक गप्प सुनि कs राजा हँसी पड़लाह आ अपन काजमे लागि गेलाह |

गोनू आ भोनू दुनु भाइ छलाह | एक दिन दुनु कमला नदीक बाढी देखि रहल छलाह | गोनू सहसा ओतs सं निपत्ता भs गेलाह आ एकटा ढेप लs कs गाछ पर चढि गेलाह | थोडेंक कालक बाद ओ पानिमे ढेप फेकलनि | भोनू चौन्कलाह | हुनका बुझयलनि जे क्यो पानिमे कुदल अछि | फेर भायकें तकलनि | ओ नहि छलथिन | हुनका विश्वास भs गेलनि जे गोनू कुदि कs डुबि गेलाह | ओ प्रसन्न भेलाह जे भने मरि गेलाह | आब हुनको सम्पति हमरे परि लागत |

भोनू झा घर अयलाह आ अपन भाउजकें सभ वृतान्त कहि सुनओलनि | कन्नारोहट उठि गेल | ओ अपनो खूब जोरसँ कानs लगलाह | इ द्रश्य भरि राति चलैत रहल |

भोनुक चलि गेलाक बाद गोनू गाछसं उतरलाह | नदिमे दहाइत एकटा लास छनलनि आ अपन देहक धोती आ मिरजइ ओकरा पहिरओलनि ओहि लासक चेहरा पहिनहिसं क्षत - बिक्षत छलैक, तें चिनहबाक कोनो प्रशने नहि छलैक | गोनू झा तकर बाद भगैत - नुकाइत कतहु अनतः चलि गेलाह |

गामक लोक लासक ताकाहेरीमे नदी - तीर दिस पहुँचलाह | लास नदीक कातमे दहाइत भेटलैक | सभ ओहि लासकें छानि हुनक दाह - क्रिया सम्पन्न कयलक |

प्रातः काल गोनुक पुत्र दरबारमे पहुँचलाह | मृत्युक समाचार सुनि राजा अत्यंत दुःखी भेलाह आ अपन राज - काजमे लागि गेलाह | जखन हुनका गोनू झाकें वचन स्मरण कराओल गेलनि तं ओ अत्यन्त सहानुभूतिपूर्वक मंत्रिकें आदेश देलथिन जे गोनुझाक श्राद्ध निमित्त दस हजार टाका राजकोषसं देल जाय |

गोनू पुत्र मन्त्री लग पहुँचलाह तs ओहिमेसं ओ एक हजार - टाका देबाक लेल कहलथिन | ओ राजी भs गेलाह तथा मंत्री़क अनुशंसा लs कs खजांची लsग पहुँचलाह ओहो एक हजारक मांग कयलथिन |

गोनू पुत्र तुरत तैयार भs गेलाह एहि प्रकारे आठ हजार टाका लs कs ओ बिदा भs गेलाह | बाटमे ओ सोचलनि जे किएक ने हमहूँ एक हजार एहिमे सं टपा ली | तदनुसार सात हजार लs कस मायक हाथमे दs देलथिन तथा कहलथिन जे तीन हजार घूसमे लागि गेल | गोनू झाक पत्नी सोचलनि जे राज दरबारमे एहिना होइत छैक | जैह आयल सैह की कम भेल |


धीरे धीरे श्राद्ध लगीच आबि गेल | गोनू झाक पत्नी ओहिमे सं चारि हजार अपना लग राखि शेष तीन हजार अपन देओरकें श्राद्धक निमित्त दs देलथिन | भानु झा मोनमे सेहो एकटा भाव उपजलनि जे कियक ने एहिमे सं एक हजार बचा देल जाय? ओ तहिना कयलनि तथा मात्र दू हजार खर्च कs श्राद्धक कर्मसं उत्रीन भs गेलाह |

एम्हर गोनू झाकें सभ समाचार प्राप्त होइत रहलानी आ ताहिसँ बहुत खिन्न भs गेलाह |

एक दिन सहसा राज दरबारमे उपस्थित भेलाह | सभ हुनका प्रेत बुझी ओतs सं पड़यलाह | मुदा गोनू झा बिहूँसैत रहलाह | गोनू झाक आगमनक सुचना जखन राजाकें भेटलनि ओही चितित भs उठलाह | मुदा फेर मोनमे भेलनि जे गोनुक मृत्यु अवशये कोनो चालि अछि | ओ हुनका बजा सभ हाल लेलनि | गोनू झा चुनि - चुनि कs सभ घटनाक उल्लेख कयलनि आ अन्तमे कहलनि जे - " गोनू एक बेर मुइलाह, सभकेँ चीन्हि कs बैसलाह | "

राजकें दुःख भेलनि, हँसी सेहो लगलनी |
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