Monday, October 19, 2009

चोर सेहो छकल


गोनू झाकेँ भगवतीक आशीर्वाद रहनि जे तोरा क्यो पराजित नहि कs सकैत अछि | आ जहिया तों पराजित होयबह ओ तोहर अंतिम दिन होयत | मुदा से बादमे | एखन अपराजेय गोनू झासँ साक्षात्कार करी |

एक राति गोनू झा भांग पीने बुत्त छलाह | जेठ - वैसाखाक मास | अउलसँ त्रस्त छल सम्पूर्ण वातावरण | मुदा गोनू झा, जाड़ रहओ वा गर्मी, रातुक विश्राम ओ घरहिमे करब श्रेयस्कर, स्वास्थ्यानुकूल एवं व्यावहारिक बुझैत छलाह | मुदा ओहि राति विपरीत चालि छल | भोजन करवाक लेल जखन आंगनमे अयलाह तं भोजनसँ पहिने पत्नीकेँ कहि देलथिन जे आइ बेसी अउल छैक | ओछाओन कs देब |

पत्नीकेँ किछु भांज नहि लगलनि | सोचलनि जे आइ हिनका की भs गेलनि अछि | मुदा कोनो प्रकारक टोकारा नहि देलनि | आंगनमे खाट ओछाओन कs देलथिन |

गोनू झा भोजनपरांत ओछाओन पर अयलाह | बगुलीसँ चून - तमाकुल बहार कयलनि आ प्रेमसँ तकरा चुनबय लगलाह |

जखन चुनाओल भs गेलनि तं ओकरा दू - चारि थापड़ मारि ठोरस्थ कयल | तकरा बाद कल्याण - करोटि देलनि | चट पूरा मूँह पीकसँ भरि गेलनि | उठलाह आ जुमाकs डबल पीक तुलसीचौरापर देलनि | चौरामे तुलसीक गाछ रहैक झमटगर जे चौरा दृष्टिगोचर पर नहि भs रहल छल |

गोनू झा पीक - पर - पीक फेकने जाथि | तुलसी पर पीक पड़य आ तेँ कनेक सन झड़झड़ी होअय आ पुनः शांत भs जाय |


थोड़ेक कालक बाद गोनुआइन सभ काज - धाजसँ फुरसत पाबि गोनूक लग अयलीह | हूनकर ई क्रिया देखि क्रोध भेलनि | जाहि चौरा पर ओ नित्य जल ढारैत छथि, धूप - दीप देखबैत छथि मनोयोगसँ पूजा करैत छथि तकर ई दुर्गति देखि हुनकर तामस सातम आसमान पर पहुँची गेलनि |

थोड़ेक काल चुप्पे रहलीह | मुदा गोनू बाबूक क्रिया - कलापमे कोनो प्रकारक परिवर्तन नहि अयलनि तं बाजि उठलीह जे - की अहाँ बताह भs गेलहुँ अछि | भगवानकेँ एना थूके - थूक करैत एकोरत्ती ग्लानि नहि होइत अछि | जेना - जेना बूढ़ भेल जाइत छी, तेना - तेना अहाँक बुद्धि भ्रष्ट भेल जाइत अछि |

गोनू झा बड़ी कालक पत्नीक प्रवचन सुनि रहल छला | मूँहमे पीक जमा भs गेल छलनि | सभकेँ समेटि एक बेर फेर जुमाकs तुलसी पर फेकलनि आ तामस प्रदर्शन करैत धयले थापड़ पत्नीक गाल पर मारलनि | पत्नी कानब आरम्भ कs देलनि |

हुनकर ई अरण्यरोदन सुनि सम्पूर्ण टोलक लोक जूटि गेल जे गोनू बाबूक आँगनमे एखन कोनो घटना भs गेलनि | सभ अबाक छल |

जखन सभ जुटि गेलाह, गोनू झा कहलथिन जे लगाती अछि जे आहान सभ गोटे आबि गेलहुँ | हमर बूढ़ीक एहि रोनाक कारण छथि तुलसीक झोंझमे बैसल हमर प्रिय मित्र आ कहैत उठलाह आ तुलसीचौरामे नुकयाल चोरक टीक पकड़ने बीच आँगन पहुँचि गेलाह |

सभ गुम्म | गोनूक पत्नी सेहो गुम्म | जाबत ओहि चोरक अग्रिम क्रिया हो, ताबत ओ सोझे गूनूक पयर पर खसि पड़ल - गोनू बाबू आब नहि |

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