Monday, October 12, 2009

गोनू झांक सिमरियाक मेला


गोनू झा रहथि विनोदी लोक | ककरो छकेबामे हिनका महारत हासिल रहनि | विनोदी - शैलीक आधार लs कs ककरो छकायब बामा हाथक खेल रहनि | ओ खेल एहन जे ककरो तकर बोध नहि होबs देथिन |

गोनू झाकेँ पत्नीकेँ एक बेर इच्छा भेलनि जे सिमरिया जाइ मुदा ताहि लेल पति महोदयसं आज्ञा लेव अत्यावश्यक रहनि | परंच सदिखन चौंचक रहथि गोनू झा | कखनो सरि भs कs गप्प करबाक अवसरे नहि देथिन |

एम्हर सिमरिया जयबाक दिन लगचिआयल जाइत रहैक | गामक बहुत स्त्रिगन अपन मोटा - चोटा बन्हबाक उपक्रम करय लागल रहथि | मुदा गोनू बाबूक पत्नी गोनुक चालिमे फसल रहथि | करथु तs करथु कोन व्योंत | ओ तs एहन समयक फिराकमे रहथि जे हिनक प्रस्तावक अस्वीक्रतिक कोनो बाट गोनू बाबुकेँ नहि भेटनि | प्रस्ताव करियनि आ तुंरत अनुमोदन भs जाय |

ओ से एक दिन ओ समय आबि तुलायल | गोनू बाबू भांगमे निसभेर रहथि | ओहि दिन भोनू माछ से अनने रहथि | गोनू बाबूक पत्नी देयोरकेँ मोन-मोन आर्शीवाद दैत खूब मनोयोगपूर्वक माछक विन्यास कयलनि | मेही चाउरक भात रहनि | पड़ोससं एक छाछ दही पैंच लs अयलनि | नेवो बारियेमे रहनि |

रातिमे जखन गोनू बाबू भोजन करय बैसलाह तs विन्यास गदगद भs गेलाह | पत्नी बड स्नेहपूर्वक खोआवs लगलथिन | गोनू बाबूकेँ भांग मता देने रहिन तेँ आगुक सामग्री देखिल प्रसन्न रहथि | पत्नी सोचलनि जे इएह उचित अवसर अछि | अपन काज एखनहि सुतरि ली, कहलथिन - बहुत गोटे परसू सिमरिया जा रहल छैक | हमहूँ एखन धरि डूब नहि देने छी | इच्छा अछि, भs आबी! |


- तs एहिमे विलम्ब किएक | शुभस्य शीघ्रम | आ तुरत मिरजइसं बहार कs कस किछु टाका थम्हा देलथिन |

एवम् क्रमे यात्राक दिन आयल | गोनू बाबूक पत्नी मोटरी - चोटरी बान्हि अहलगरे विदा भेलीह | गामक आर स्त्रिगन सभ हाक दs रहल छलथिन | ओ काँखतर मोटरी दबने बहरयलीह | ताबत भोनू सेहो जागि गेल रहथिन तथा भाउजक पाछू - पाछू अरिआतबक मुद्रामे विदा भेलथिन |

आँगनक मुहथरिपर जखन अयलीह कि कोनो पुरुषसं धक्का लागि गेलनि | तुरत दू डेग पाछू हटि एहिपर गौर करबाक चेष्टा कयलनि कि फेर पाछूसं सेहो धक्का पड़लनि | उनटिकs तकलनि तs देखलनिs देओर बाबूकेँ मुस्किआइत | फेर पाछू हटलीह की पुनः धक्का | देलखिन, सदय पतिदेव जी छलथिन |

आब ई अवग्रहमे पड़ी गेलीह | आगू बढ़ैत छलीह तs गोनू धक्का मारैत छलथिन | पाछू हटैत छलीह तs भोनू धक्का मारथिन | किछु बजबाक अवसरे नहि भेटि रहल छलनि आ एहिना बड़ी काल धरि गेन जकाँ एम्हरसं ओमहर गुरकैत रहलीह |

थोड़वहि कालमे एहि परिस्थितिसं आजीज भs गेलीह | मोन तीत भs गेलनि | अंतमे खिसियाकs मोटरीकेँ फेकि देलनि आंगनक बीचमे |

गोनू बाबु परिस्थितिके गमलनि आ तुरत भोनूकेँ मना करैत पत्नी दिस बढ़लाह | पत्नीकेँ कहलथिन - घोघ कियक फूलओने छी?

तामसे थरथर करैत पत्नी कहलथिन - बेसी तामस नहि चढ़ाउ, नहि तs की सs की भs जायत | आब तs हम किन्नहु सिमरिया नहि जायब |

गोनू बाबू स्थिर भावें उत्तर देत कहलथिन - यैह तs हम कहs चाहैत रही | मेला - ठेलामे लोक धक्के खाय लेल जाइत अछि ने | आ ताहि लेल तs हम दुनु भाइ छीहे | अनेरे दोसर - दोसर सद्द कियक धक्का खाय जैतहूँ |

गोनू बाबुक पत्नी किछु बजनहि आँगन घुरि गेलीह आ तिरछले मोने सोचलनि जे गोनू ककरहु नहि | फेर, सुनैत छैथ जे बाहरमे चीकरैत स्त्रीगण सभ हिनका सरापैत जा रहल अछि |

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