Tuesday, September 29, 2009

गोनू झाक पंचौती


गोनू झाक प्रतीक्षा करैत - करैत पंडिताइनक आंखि पाथर भs गेलनि आ ओहि पाथर भेल आंखिमें निन्द आबs लग्लनि | पंडिताइन सोचैत रहलीह जे दुपहर राति भेलै मुदा आइ एखन धरि कतस छथि से नहि जानि | कहकिs गेल छलाह जे आइ कोनो काज नहि अछि, तुरंन्त घुरि आयब | मुदा ओ तुंरत पहाड़ भs गेलनि |

हारि - थाकिs पंडिताइन भोजन कs लेलनि आ हुनकर भोजन काढि आ तकरा ढाकी सं झापिं चौकी तरमे धs कल्याण करौट देलनि |

निसभेर निन्नमे केबाड़ ढकढकयाबक आवाज भेलनि | कुमोने उठलौह आ छिटकिल्ली फोललनि, तs देखैत छति जे गोनू झा छति | आंखि कड़जन्नी सन - सन झुमैत हिनकर तामस सातम अकास पर ठेकि गेलनि - 'जाउ, आब किए अयलौं | एकेबेर भोरे मे अबितौं | भांग पीलाक बाद आहाँकें तs होस नै रहैय | जनै छिऐ, कते बजैत हेतै? |

गोनू झा कें पत्नीक प्रवचन नीक नहि लगलनि | भांग अपन मस्तीमे छले, मति गेलाह तामसमे | मुदा ततक्षणे किछु सोचि तमासकें घोंटि गेलाह आ चौकी पर आबि उठा देलनि पराठी - जुनी करू राग विरोग हे जननी, जुनी करू राम विरोग...|

एहि गति पंडिताइन आर प्रज्वलित भs उठलीह - एक तs चोरीं ताइ पर सं सीनाजोड़ी | हम अभागल जे आहाँ कें प्रतीक्षा करैत - करैत आजिज भेल छी आ आहाँ ऐ निसभेर रातिमे पराती गबैत छी | जानि नहि विधाता केहन हाथे हमरा सोंपि देलनि ...|

गोनू झाक धैर्य आब जबाब दs देलकनि | ओ फुटि पड़लाह - " गय अलच्छी तों हमरा कहबें? हम तोहर बहिया? तोहर खबास? हम तोरा मोने चलब? तोहर गुलाम भs कs रहब? " आ कहैत लगलाह पंडिताइन के डेन्गबs |

पंडिताइन हिनकोसं कम नहि | जतबा जोर सं चोट नहि लगैत छलनि, ताहिसँ चौ-गुणा जोरसं बपहारि काटब शुरू कs देलनि | आ से ई तेहन लीला कयलनि जे पूरा गाम गोनू झाक आंगनमे उनटि गेल |

सभ हिनकर बन्न भेल केबाड़कें पीटाs लागल जखन बड़ी काल धरि पिटैत रहलाह तs आखिरमे गोनू छिटकिल्ली अलगौलनि |

सभक एकेटा प्रशन - एना किए?

आ ताहि प्रशन पर पुनः दुनु गोटेमे उत्तराचौरी अर्थात् गलती इ कयलनि, नहि गलती हिनकर छियनि | आ एहिना बड़ी काल धरि चलैत रहल |

अन्तमे गोनुकें नहि रहल गेलनि | ओ गौआँ सभ दिस पलटलाह आ कहब आरम्भ कयलनि - " सुनु औ गौआँ-घरुआ सभ! हमरा जनैत गलती हिनकर छियनी मुदा हिनकर कहब छनि जे गलती हमर छी | आ तेहना सिथतिमे ई झगडा नहि फरिछा सकैए | तें हमर कहब जे हम दुनु गोटे तं बादी - प्रतिबादी भेलौं तें हमरा दुनु गोटाके स्वयं एकरा फरिछा लेबs दिs दोसर, संय-बहुक झगडा, पुच भेल लबडा | "

-" नै, से नै भs सकैए | " आइ हमरा ऐ झगड़ाक पंचैती कs दै जाथु | पंडिताइन ओही रोद्र - रूप मे अडैत बजलीह |

-" तs ठीक छै | गोनू बजलाह-' पंचौती भैये जाय | अस्तु | हम कहब जे हमरा दुनूक झगड़ाक कि कारण अछि से तs आहाँ सभ नहि देखलौं | तें नीक होयत जे जे व्यक्ति सभ एहि झगड़ाक प्रत्यक्षदर्शी थिकाह वैह पंच होथि | "

-" मुदा.......??? " गौआंके सम्मिलित शंका भेलनि |

-" नहि गोनू बजलाह - " देखू बड़ी कालसँ ऐ जाड़मे ठिठुरैत पांच टा पंच कोठीक पाछू मे बैसल सब घटनाकें देखि रहल छथि | तें हुनके बहार बजा पुछि लेल जाय..........| "

एतबा कहबाक रहनि कि सभ कोठी पाछू हुलल | ओतs देखैत छथि जे परोपट्टाक पाँच टा नामी चोर सशंकित भावे ठाढ़ अछि |

फेर कि छल मौसमे बदलि गेल! गोनू लीलापर सभ क्यों दंग रही गेलाह | तखने गोनू पत्नीसं पुछ्लनि - " बेसी चोट तs नै लागल? "

एम्हर ता चोरक इलाज भs गेल | पंडिताइन लजाइत घरसं बहरा गेलीह |

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